मुख्य सूचना आयुक्त आर के माथुर ने नोटबंदी के निर्णय से संबंधित रिकार्ड रखने वाले प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अधिकारियों को उनके समक्ष पेश होने के निर्देश दिए हैं. सूचना आयुक्त ने प्रधानमंत्री कार्यालय को यह बताने को भी कहा कि नोटबंदी से जुड़े दस्तावेजों के खुलासे से देश के आर्थिक हितों पर कैसे असर पड़ेगा?
आरटीआई आवेदक आर.एल केन के एक अलग मामले में माथुर ने राष्ट्रपति भवन के उस तर्क को खारिज कर दिया कि उनका सवाल ‘‘सूचना’’ की परिभाषा के तहत नहीं आता जिसे आरटीआई कानून के तहत पूछा जाए. उन्होंने सवाल पूछा था कि क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 500 और एक हजार रुपये के नोटों को बंद करने और दो हजार रुपये का नया नोट जारी करने के अपने निर्णय से राष्ट्रपति को अवगत कराया था.
नोटबंदी पर याचिकाकर्ता की आरटीआई पर प्रधानमंत्री कार्यालय, राष्ट्रपति सचिवालय और वित्त मंत्रालय से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने के बाद केन ने सूचना आयोग का रूख किया था. केन ने प्रधानमंत्री कार्यालय से नोटबंदी के फैसले की संस्तुति की प्रति के साथ 2000 रुपये की नई करेंसी जारी करने के लिए दिए गए आदेश की प्रति भी मांगी थी. इसके साथ की याचिकाकर्ता ने दूरदर्शन द्वारा प्रचारित प्रधानमंत्री के उस भाषण की मूल प्रति भी मांगी थी जिसमें उन्होंने नोटबंदी का ऐलान किया था.
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याचिकाकर्ता की इन मांगों को नकारते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा था कि इन सवालों के जवाब से देश के आर्थिक हित को नुकसान पहुंचेगा. इसके साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय ने दलील दी थी कि याचिकाकर्ता ने सवाल पूछा है और न कि उससे किसी सूचना के लिए आवेदन किया है.
लिहाजा, प्रधानमंत्री कार्यालय के इस जवाब को आधार बनाते हुए सूचना आयोग ने प्रधानमंत्री कार्यालय से पूछा है कि नोटबंदी के आंकड़ों से कैसे देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंच सकता है. इसके साथ ही आयोग ने प्रधानमंत्री कार्यालय के उन अधिकारियों को भी आने के लिए कहा है जिनके पास नोटबंदी से जुड़े दस्तावेज मौजूद हैं.
गौरतलब है कि केन ने अपनी याचिका में सवाल किया था कि क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी के फैसले की सूचना राष्ट्रपति को दी थी. याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया था कि 2000 रुपये की नई करेंसी को जारी करने के मामले में रिजर्व बैंक के नियमों की अनदेखी की गई है. केन ने आरटीआई के जरिए पूछे गए सवालों के जवाब को इसलिए भी अहम कहा था क्योंकि नोटबंदी के फैसले का असर पूरे देश पर पड़ा था और लगभग 150 लोगों की मौत भी नोटबंदी की प्रक्रिया में दर्ज की गई थी.