भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को प्रमुख ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती की है. केन्द्रीय बैंक ने यह कदम कमजोर मुद्रास्फीति और मांग में आई गिरावट को देखते हुए उठाया है.
शीर्ष बैंक द्वारा लगातार चार मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद यह कटौती की गई है. पिछली बार यह कटौती 2016 के अक्टूबर मौद्रिक समीक्षा में की गई थी. उस समय ने आरबीआई ने प्रमुख ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती की थी. इस कटौती के साथ ही रेपो रेट साढ़े 6 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक पिछली बार नवंबर 2010 में रेपो रेट 6 फीसदी के स्तर पर था.
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इसके साथ ही एशिया में किसी भी केन्द्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में साल 2017 की यह पहली कटौती है. गौरतलब है कि 2017 के दौरान किसी एशियाई देश में वैश्विक संकेतों के चलते ब्याज दरों में कटौती को अंजाम नहीं दिया जा रहा है. लेकिन रिजर्व बैंक द्वारा लिया गया यह साहसिक कदम महंगाई के निम्न स्तर और अच्छे मानसून की उम्मीद के चलते मुमकिन हो सका है. हालांकि, अपनी नीति में रिजर्व बैंक ने अगाह भी किया है कि आने वाले दिनों में महंगाई का खतरा अभी टला नहीं है.
आरबीआई के वित्त वर्ष 2017-18 के तीसरे द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में वाणिज्यिक बैंकों के लिए पुर्नखरीद दर या अल्पकालिक ऋण दर को 6.25 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया है.
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इसके साथ र्विस पुर्नखरीद दर या अल्पकालिक उधार दर (रिवर्स रेपो) को 6 फीसदी से घटाकर 5.75 फीसदी कर दिया गया है.
रेपो दर में बदलाव का यह फैसला आरबीआई की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने किया है जिसके अध्यक्ष आरबीआई के गर्वनर उर्जित पटेल हैं. समिति के चार सदस्यों ने ब्याज दरें घटाने के पक्ष में तथा बाकी के दो सदस्यों ने इसके विरोध में मतदान किया था.