आज जब बाजार की दिशा में अनिश्चितता छाई है तो शेयर बाजार के निवेशकों को ऐसे शेयरों में निवेश करना चाहिए, जिसमें लाभ की स्पष्ट सम्भावना दिखती हो.
नोएडा की औद्योगिक बस्ती में सड़क किनारे पटरी पर चाय बेचने वाले अनिल दास से बातचीत के दौरान चाय उद्योग में निवेश के बेहतरीन मौके का संकेत मिला. अनिल ने बताया कि गर्मी का मौसम होने के कारण चाय की बिक्री चवन्नी घट गई है और कुछ दिनों में बिक्री आधी हो जाएगी. गर्मी शुरू हो चुकी है और अनिल दास के कहने का मतलब यह है कि साधारण बिक्री 25 फीसदी घट गई है यानी, 75 फीसदी रह गई है और आने वाले कुछ दिनों में जब गर्मी और बढ़ जाएगी, तो यह घट कर 50 फीसदी रह जाएगी.
लगभग पूरे भारत में मार्च के बाद से गर्मी के मौसम की शुरुआत हो जाती है और इस दौरान शीतल पेयों की बिक्री बढ़ जाती है. लिहाजा इसी अनुपात में चाय की बिक्री घट जाती है. इसलिए चाय से संबंधित कंपनियों को लाभ भी इस मौसम में कम होता है. लेकिन बारिश और उसके बाद ठंड की शुरुआत के साथ सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाजार में फिर से एक बार चाय गर्म होने लगती है.
यानी जब मौसम गर्म हो तो चाय और कॉफी उद्योग ठंडा रहता है और इन शेयरों के निचले स्तर पर रहने की भी संभावना बनी रहती है. इसके विपरीत मौसम ठंडा हो तो चाय-कॉफी उद्योग गर्म होता है और इसके अनुरूप ही इन शेयरों में तेजी की सम्भावना रहती है. लिहाजा गर्मियों में ही चाय और कॉफी से सम्बंधित कुछ अच्छे फंडामेंटल वाली कंपनियों में निवेश कर करीब 6 महीने के लक्ष्य के साथ सब्र किया जाए, तो फल मीठा मिल सकता है.
असम कम्पनी (इंडिया) लिमिटेड, बम्बई बर्मा ट्रेडिंग कारपोरेशन लिमिटेड, हैरीसंस मलयालम लिमिटेड, जयश्री टी एंड इंडस्ट्री लिमिटेड, मैकलियोड रसेल (इंडिया लिमिटेड) और टाटा ग्लोबल बेवरेज स्टॉक एक्सचेंज में सचीबद्ध चाय उद्योग की प्रमुख कम्पनियां हैं, जिनके शेयरों की कीमत इन दिनों काफी कम है.
चाय बोर्ड के आंकड़ों से पता चलता है कि शीत ऋतु में पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्र में चाय के पौधे सुप्तावस्था में होते हैं और इसलिए जनवरी, फरवरी और मार्च महीने में उत्पादन काफी घट जाता है. इसलिए देश में चाय की कुल नीलामी भी घट जाती है. चाय बोर्ड के सलाहकार काला ने कहा कि चाय को कम उत्पादन वाली अवधि में नीलामी के लिए सुरक्षित रखना कारोबार के लिए फायदेमंद नहीं है, क्योंकि इससे उसकी गुणवत्ता खराब हो जाती है. इसलिए इसे उत्पादन के बाद तुरंत बेचना होता है.
काला ने बताया कि बारिश के दिनों में चाय का सामान्य उत्पादन होता है.इसलिए इसकी नीलामी भी बारिश के दिनों में अधिक होती है. चाय बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक देश में जनवरी से अप्रैल महीने की अवधि में आम तौर पर चाय का उत्पादन साल भर में सबसे कम होता है. बोर्ड की वेबसाइट के मुताबिक भारत में असम घाटी और कछार तथा पश्चिम बंगाल में डुअर्स, तराई और दार्जिलिंग चाय के बागानों के प्रमुख क्षेत्र हैं. जबकि दक्षिण भारत में तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक चाय उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र हैं.
जहां तक निर्यात की बात है तो बोर्ड के वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक उत्तर और दक्षिण भारत में जुलाई से दिसम्बर यानी कारोबारी साल की दूसरी और तीसरी तिमाही में देश से चाय का सर्वाधिक निर्यात होता है. चाय की कीमतों के मोर्चे पर भी देखें, तो बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर और दक्षिण भारत दोनों जगह नीलामी में जनवरी से मार्च महीने में कीमत सबसे कम रहती है. जबकि अप्रैल से दिसम्बर यानी पहली, दूसरी और तीसरी तिमाही में कीमत आम तौर अधिक रहती है. खास कर दूसरी तिमाही में यह सबसे अधिक रहती है.
समग्र तौर पर देखा जाए, तो कारोबारी साल की चौथी तिमाही चाय उत्पादकों के लिए सुस्त कारोबार का महीना होता है. उपभोक्ताओं को चाय बेचने वाली कम्पनियों के लिए हालांकि कारोबारी साल की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) सुस्त अवधि होती है. देश की प्रमुख चाय कम्पनी टाटा ग्लोबल बेवरेजेज लिमिटेड के टेटली कंज्यूमर केयर के अधिकारी राजेश शर्मा ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि गर्मियों के महीने अप्रैल से जून में चाय की बिक्री घट जाती है.
उन्होंने कहा, 'गर्मी के कारण ग्राहकों के बीच शीतल पेयों की खपत बढ़ जाती है और चाय की खपत घट जाती है, जबकि ठंड के महीने में चाय की खपत बढ़ जाती है.' गर्मियों और ठंड में बिक्री के अंतर के बारे में उन्होंने कहा कि ठंड के मौसम में गर्मियों की अपेक्षा बिक्री 20 फीसदी बढ़ जाती है. लिहाजा छोटे कारोबारी यदि चाय उत्पादक कम्पनियों के शेयरों में जनवरी से मार्च के बीच और उपभोक्ताओं को चाय बेचने वाली कम्पनियों के शेयरों में अप्रैल से जून के बीच निवेश करें और करीब छह महीने तक धीरज रखें तो उन्हें बेहतर मुनाफे के रूप में मीठे फल खाने को मिल सकते हैं.