देश के शेयर बाजारों में तेजी से पिछले तीन साल में निवेशकों की पूंजी में 50 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है. इसमें टाटा, बिड़ला, अंबानी और बजाज समूह को एक लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा का लाभ हुआ है. वित्तीय क्षेत्र की एचडीएफसी, आईसीआईसीआई और औद्योगिक समूह एलएंडटी, वेदांता, गोदरेज, महिंद्रा, हिंदुजा और आईटीसी को भी शेयर बाजारों में इस तेजी का बड़ा लाभ हुआ है और इनका बाजार मूल्यांकन तेजी से सुधरा है.
मोदी सरकार अगले हफ्ते तीन वर्ष पूरे करने जा रही है. इस सरकार के आने के बाद से शेयर बाजार में लगातार वृद्धि देखी गई है. कुछ बाजार विशेषग्य मोदी रैली या मोदी प्रभाव बता रहे हैं. इन तीन वर्षों में बीएसई-पीएसयू (सार्वजनिक उपक्रम) सूचकांक में 22 प्रतिशत यानी बाजार मूल्य के हिसाब से 3.65 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ. यह कुल 50 लाख करोड़ रुपये की बाजार पूंजीकरण वृद्धि के आठ फीसदी से कुछ कम है.
देश की बाजार सम्पत्ति में लोक उपक्रमों का कुल हिस्सा 16 फीसदी है. इस दौरान सेंसेक्स 6000 अंक यानी करीब 26 प्रतिशत तथा कुल शेयर बाजार 75 लाख करोड़ रुपए से बढ कर 125 लाख करोड़ रुपये हो गया. पर भारतीय बाजार में खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी प्रति कंपनी 10 फीसदी से कम है इस लिए पूरे लाभ में खुदरा निवेशकों का हिस्सा भी कम रहना स्वाभाविक है.
पिछले हफ्ते नए रिकॉर्ड के नाम रहा बाजार
बीते कारोबारी हफ्चे GST की नई दरों की उम्मीद पर भारतीय शेयर बाजार ने तेज रफ्तार से नए कीर्तीमान को छू लिया था. बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर प्रमुख सेंस्टिव सूचकांक सेंसेक्स ने तेज गति से लगभग 200 अंकों की बढ़त के साथ 30,700 के स्तर का नया रिकॉर्ड बनाते हुए शुक्रवार को आखिरी कारोबारी दिन 238 अंकों की बढ़त को गंवाते हुए फ्लैट बंद हुआ था.
हालांकि बीते कारोबारी दिन गुरुवार को बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 224 अंकों की गिरावट के साथ रिकार्ड उंचाई से नीचे भी गया था. इससे पहले, हफ्ते के पहले तीन कारोबारी दिन सेंसेक्स ने लगातार नए कीर्तीमान रचे. वैश्विक स्तर पर उतार-चढ़ाव के बीच जहां पहले तीन दिन भारतीय बाजार पर जमकर शेयरों की खरीदारी की गई वहीं गुरुवार की गिरावट के पीछे निवेशकों की मुनाफावसूली थी.
इस हफ्ते कैसी रहेगी बाजार की चाल
चालू सप्ताह में डेरिवेटिव अनुबंधों के निपटान की वजह से शेयर बाजार में उतार चढ़ाव रहने की संभावना है. इसके अलावा बाजार टाटा मोटर्स, आईटीसी और सन फार्मा जैसी बड़ी कंपनियों के तिमाही परिणामों तथा वैश्विक रख से भी संकेत ग्रहण करेंगे. वहीं वैश्विक स्तर पर अमेरिकी बाजार में बढ़ती राजनीतिक अनिश्चितता के वातावरण के कारण वैश्विक बाजार बुरी तरह से प्रभावित हो सकते है जिसका असर भारतीय शेयर बाजार पर भी देखने को मिल सकता है.