इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के 16वें सीजन के आगाज से पहले शुक्रवार को कोच्चि में मिनी ऑक्शन (IPL Auction) का मंच सज गया है. कुल 405 खिलाड़ियों के लिए बोली लगनी है और सभी 10 टीमों के पास 206.6 करोड़ रुपये का पर्स है. आईपीएल की नीलामी में खिलाड़ियों पर जमकर पैसों की बरसात होती है. फ्रेंचाइजियों के बीच खिलाड़ियों के खरीदने के लिए रेस देखने को मिलती है और कई बार एक करोड़ रुपये से शुरू हुई बोली 10 करोड़ के पार चली जाती है. कुल मिलाकर पैसा जमकर बरसता है. लेकिन खिलाड़ियों पर इतना खर्च करने वाली फ्रेंचाइजियों की कमाई कैसे होती है? कहां से आता है खिलाड़ियों पर लुटाने के लिए इतना पैसा?
कमाई का सबसे बड़ा जरिया
आईपीएल को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) संचालित करता है और दोनों के लिए कमाई का सबसे बड़ा जरिया मीडिया और ब्रॉडकास्ट है. आईपीएल की फ्रेंचाइजी अपने मीडिया राइट्स और ब्रॉडकास्ट के राइट्स को बेचकर सबसे अधिक पैसा कमाती हैं. फिलहाल ब्रॉडकास्ट का राइट स्टार स्पोर्ट्स के पास है. एक रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआत में ब्रॉडकास्टिंग राइट्स से होने वाली कमाई का 20 फीसदी हिस्सा बीसीसीआई रखता था और 80 फीसदी रकम टीमों को मिलती थी. लेकिन धीरे-धीरे ये हिस्सा बढ़कर 50-50 प्रतिशत हो गया.
विज्ञापनों से भी जमकर कमाई
फ्रेंचाइजी आईपीएल मीडिया ब्रॉडकास्ट के राइ़़ट्स को बेचने के अलावा विज्ञापनों से भी जमकर पैसा कमाती हैं. खिलाड़ियों की टोपी, जर्सी और हेलमेट पर दिखने वाले कंपनियों के नाम और लोगो के लिए भी कंपनियां फ्रेंचाइजियों को जमकर पैसा देती हैं. आईपीएल के दौरान फ्रेंचाइजियों के खिलाड़ी कई तरह के एड शुट करते हैं. इससे भी कमाई होती है. कुल मिलाकर विज्ञापन से भी आईपीएल टीमों के पास बहुत पैसा आता है.
तीन हिस्सों में बंटा है रेवेन्यू
अब थोड़ा आसान भाषा में समझ लेते हैं कि कैसे टीमें कमाई करती है. सबसे पहले आईपीएल टीमों की कमाई को तीन हिस्सों- सेंट्रल रेवेन्यू, प्रमोशनल रेवेन्यू और लोकल रेवेन्यू में बांट देते हैं. सेंट्रल रेवेन्यू में ही मीडिया ब्रॉडकास्टिंग राइट्स और टाइटल स्पॉन्सरशिप आता है. इससे टीमों की कमाई का लगभग 60 से 70 फीसदी हिस्सा आता है.
दूसरा है विज्ञापन और प्रमोशनल रेवेन्यू. इससे टीमों करीब 20 से 30 फीसदी तक की कमाई होती है. वहीं, लोकल रेवेन्यू से टीमों की कमाई का 10 फीसदी हिस्सा आता है. इसमें टिकटों की बिक्री और अन्य चीजें शामिल होती हैं.
हर सीजन में 7-8 घरेलू मैचों के साथ फ्रेंचाइजी मालिक टिकट बिक्री से अनुमानित 80 प्रतिशत रेवेन्यू अपने पास रखता है. बाकी 20 प्रतिशत बीसीसीआई और प्रायोजकों के बीच बंटता है. टिकटों की बिक्री से होने वाली आय आम तौर पर टीम के राजस्व का 10-15 प्रतिशत होती है. टीमें मर्चेंडाइज जैसे जर्सी, टोपी और अन्य सामान बेचकर भी रेवेन्यू का छोटा सा हिस्सा जेनरेट करती हैं.
लोकप्रियता और मार्केट वैल्यू में जोरदार इजाफा
2008 में जब आईपीएल शुरू हुआ, तो भारतीय बिजनेमैन और बॉलीवुड के कुछ बड़े नामों ने आठ शहर बेस्ड फ्रेंचाइजी खरीदने के लिए कुल 723.59 मिलियन डॉलर खर्च किए थे. डेढ़ दशक बाद, आईपीएल की लोकप्रियता और व्यावसायिक मूल्य में कई गुना वृद्धि हुई है. 2021 में सीवीसी कैपिटल (एक ब्रिटिश इक्विटी फर्म) ने गुजरात टाइटन्स की फ्रेचाइजी के लिए लगभग 740 मिलियन डॉलर का भुगतान किया था.
आज आईपीएल की नीलामी दोपहर 2.30 बजे से कोच्चि में शुरू होगी. यह आईपीएल की 16वीं एवं कुल 11वीं मिनी नीलामी है.