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रेलवे ने 2011-12 में इंटरनेट से बेचे 9,500 करोड़ रुपये के टिकट

इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन (आईआरसीटीसी) ने 2011-12 में 9,500 करोड़ रुपये मूल्य के 11 करोड़ से अधिक टिकटों की बिक्री की. इंटरनेट के जरिये टिकटों की यह बिक्री पिछले 10 साल में सबसे अधिक है.

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इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन (आईआरसीटीसी) ने 2011-12 में 9,500 करोड़ रुपये मूल्य के 11 करोड़ से अधिक टिकटों की बिक्री की. इंटरनेट के जरिये टिकटों की यह बिक्री पिछले 10 साल में सबसे अधिक है.

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आरटीआई के तहत उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक, बीते वित्त वर्ष के दौरान आईआरसीटीसी की वेबसाइट के जरिये ट्रेन की करीब 11.61 करोड़ टिकटें बुक कराई गईं जिनका मूल्य 9,498.45 करोड़ रुपये रहा. वर्ष 2010-11 में पोर्टल के जरिये 8,007.16 करोड़ रुपये के 9.69 करोड़ टिकटों की बुकिंग की गई थी. वहीं, 2002-03 में आईआरसीटीसी की वेबसाइट के जरिये 26.39 करोड़ रुपये मूल्य के 1.99 लाख टिकटों की बुकिंग कराई गई थी.

भारत सरकार के उपक्रम आईआरसीटीसी ने यह भी बताया कि उसे वेबसाइट इस्तेमाल करने वाले लोगों से विभिन्न पूछताछ या मुद्दों पर रोजाना 5,000 टेलीफोन कॉल्स और 5,000 ई.मेल प्राप्त हो रहे हैं. कंपनी ने कहा, ‘लेनदेन सुचारू ढंग से हो, यह सुनिश्चित करने के लिए आईआरसीटीसी सभी पेमेंट गेटवे के साथ तालमेल रखती है.

आईआरसीटीसी ने टिकट जमा रसीद (टीडीआर) के जरिये करीब 18 करोड़ रुपये वापस लौटाए हैं. टीडीआर विभिन्न आधार पर रिफंड का दावा करने की एक प्रक्रिया है. इस साल जनवरी और 15 अक्‍टूबर के बीच यात्रियों ने एसी फेल होने और बुक कराए गए टिकटों पर यात्रा करने में विफलता समेत विभिन्न आधारों पर ये रिफंड लिए.

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कंपनी ने कहा कि इस साल करीब 17.78 लाख टीडीआर अनुरोध पत्र दाखिल किए गए और 18 करोड़ रुपये लोगों को लौटाए गए. वर्ष 2011 में 18 लाख टीडीआर की प्रोसेसिंग की गई थी और 22.27 करोड़ रुपये रिफंड किए गए थे. अगर रेलवे द्वारा ट्रेन निरस्त किए जाने के चलते यात्री यात्रा नहीं कर पाता, टीटीई द्वारा उससे गलत शुल्क वसूला जाता है और अगर ट्रेन तीन घंटे से अधिक समय से विलंब से चल रही है तो यात्री टीडीआर दाखिल कर सकता है.

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