केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भारत के कई राज्य 10-11 प्रतिशत की दर से विकास कर रहे हैं और भारतीय राज्यों और अमेरिकी निवेशकर्ताओं और कंपनियों के बीच व्यापार वार्ता से भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार को मदद मिल सकती है.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने एक राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश कोष (एनआईआईएफ) का निर्माण किया है, जिसमें अमेरिका आधारित बीमा और पेंशन कोष, वृत्ति कोष का निवेश किया जा सकता है, खासकर बुनियादी क्षेत्रों में जिसमें भारत की विशाल क्षमता है. यह बातें वित्त मंत्री ने सोमवार को अमेरिकी वाणिज्य मंत्री पेन्नी प्रित्जकर और राष्ट्रीय आर्थिक परिषद के निदेशक जेफरी जिन्ट्स से अपने कार्यालय नॉर्थ ब्लॉक में मुलाकात के दौरान कही. दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार संबंधित मुद्दों और दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ाने के उपायों से संबंधित विषयों पर बात की.
भारत व्यापार को बढ़ावा देने के पक्ष में
जेटली ने कहा कि पिछले मानसून सत्र में संसद के दोनों सदनों में वस्तु और सेवाकर से संबंधित संविधान संशोधन बिल पास हो चुका है. उन्होंने कहा कि आठ राज्यों ने अब तक जीएसटी संविधान संशोधन बिल को मंजूरी दे दी है और आशा है कि अन्य राज्य भी जल्द ही इसका पालन करेंगे और अगले महीने की शुरूआत तक राज्य अनुसमर्थन की आवश्यक संख्या को प्राप्त कर लिया जाएगा. जेटली ने कहा कि भारत दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने का इच्छुक है और दोनों देशों के बीच अधिकतर चिंताओं को या तो दूर कर दिया गया है या फिर उसे कम कर दिया गया है. जेटली ने कहा कि दोनों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए भारत की कई कंपनियों के सीईओ अपने अमेरिकी समकक्षों से लगातार बातचीत कर रहे हैं.
'दोनों देशों के बीच व्यापार की अपार क्षमता'
इससे पहले अमेरिकी वाणिज्य मंत्री पेन्नी प्रित्जकर ने जीएसटी बिल के अनुमोदन का स्वागत किया और आशा व्यक्त की कि इससे भारत में व्यापक स्तर पर आर्थिक क्रियाकलापों को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने सुझाव दिया कि द्विपक्षीय व्यापार को प्रोत्साहन देने के लिए अमेरिकी अधिकारियों और राज्य के मुख्यमंत्रियों के व्यापार वार्ता को एक संरचनात्मक आकार दिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार के विकास की अपार क्षमता है और अमेरिका दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों को प्रोत्साहित करने के लिए इसे एक संस्थागत रूप देना चाहता है.