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'शायर' जेटली के भाषण में 15 बार गरीब तो 25 बार किसानों का जिक्र

जेटली इन अल्फाजों के जरिये एक ओर अपने मंत्रालय की नीतियों पर सरकार की पीठ थपथपा रहे थे, वहीं बातों ही बातों में विपक्ष पर भी निशाना साध रहे थे

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जेटली के बजट भाषण में शायरी का तड़का
जेटली के बजट भाषण में शायरी का तड़का

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आमतौर पर बोझिल माने जाने वाले बजट भाषण में अपनी बात रखने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शायरी का भी सहारा लिया. अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए नोटबंदी जैसे बड़े कदमों का बचाव करते हुए जेटली ने कहा-

‘इस मोड़ पर घबरा कर न थम जाइए आप,
जो बात नई है अपनाइए आप
डरते हैं क्यों नई राह पर चलने से आप
हम आगे आगे चलते हैं आइए आप..’

साफ है कि जेटली इन अल्फाजों के जरिये एक ओर अपने मंत्रालय की नीतियों पर सरकार की पीठ थपथपा रहे थे, वहीं बातों ही बातों में विपक्ष पर भी निशाना साध रहे थे.


'कालेधन ने बदला रंग'

इसके बाद जब जिक्र नोटबंदी का आया तो जेटली ने एक बार फिर अशआरों का सहारा लिया. आप भी मुलाहिजा फरमाएं:

‘नई दुनिया ,है नया दौर है, नई है उमंग

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कुछ हैं पहले के तरीके कुछ हैं आज के रंग

रोशनी आकर अंधेरों से जो टकराई है

काले धन को बदलना पड़ा आज अपना रंग’

जेटली शेर के जरिये बताना चाह रहे थे कि कालेधन के खिलाफ सरकार की नीति कारगर रही है और सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए लीक से हटकर कदम उठाए हैं.

102 बार टैक्स का जाप, 25 बार किसानों का जिक्र

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने भाषण में टैक्स शब्द का जिक्र 102 बार, पीएम का जिक्र 8 बार, नोटबंदी का जिक्र 13 बार किया. वहीं जेटली ने 15 बार गरीबों को अपने भाषण में याद किया, तो 20 बार जीएसटी को भाषण में याद किया. जेटली ने अपने भाषण में 25 बार किसानों का जिक्र किया, तो वहीं 24 बार उन्होंने रेलवे का नाम अपने भाषण में लिया. 

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