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इकोनॉमी पर यशवंत vs जयंत, पढ़ें 10 वार पर 10 जवाब

गुरुवार को जयंत सिन्हा ने एक बार में लेख के जरिए पिता के सभी तर्कों को गलत साबित किया और सरकार की मंशा को सही बताया. दोनों ने अपने लेखों में किन बड़े दस मुद्दों को उठाया, यहां पढ़ें.

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जयंत सिन्हा को पिता यशवंत सिन्हा को जवाब
जयंत सिन्हा को पिता यशवंत सिन्हा को जवाब

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लुढ़क रही जीडीपी और डगमगा रही अर्थव्यवस्था पर बीजेपी के ही घर से वार हुआ. दिग्गज नेता यशवंत सिन्हा ने वित्त मंत्री अरुण जेटली की नीतियों पर सवाल उठाए तो जवाब देने के लिए मोदी सरकार में वित्त राज्य मंत्री और उनके ही बेटे जयंत सिन्हा मैदान में उतर गए. गुरुवार को जयंत सिन्हा ने एक बार में लेख के जरिए पिता के सभी तर्कों को गलत साबित किया और सरकार की मंशा को सही बताया. दोनों ने अपने लेखों में किन बड़े दस मुद्दों को उठाया, यहां पढ़ें.

पिता को पुत्र के जवाब

1. हम एक नई मजबूत अर्थव्यवस्था बना रहे हैं, जो कि लंबे समय में न्यू इंडिया के लिए फायदेमंद होगी.

2. एक या दो क्वार्टर के डाटा को ना देखते हुए इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि हम अभी संरचनात्मक सुधार कर रहे हैं, जो कि लंबे समय के लिए हमारे लिए फायदेमंद होगा.

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3. सरकार जो बदलाव कर रही है वह न्यू इंडिया की जरूरत हैं. जो नई इकोनॉमी तैयार हो रही है वह ज्यादा ट्रांसपेरेंट होगी जिसमें लाखों लोगों को जॉब मिलेगी.

4. जीएसटी, नोटबंदी और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा एक गेमचेंजिंग कोशिश हैं. जिसका असर लंबे समय में दिखेगा. हर मंत्रालय नई तरह की पॉलिसी बना रहा है अब कोयला की नीलामी भी सही तरीके से हो रही है

5. एफडीआई में लगातार बढ़ोतरी हो गई है. FY2014 में FBI 36 बिलियन डॉलर थी जो FY2017 में 60 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई है.

6. जनधन-आधार-मोबाइल (जैम) की सहायता से हम डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर कर रहे हैं जिससे पिछले तीन साल में 1.75 लाख करोड़ रुपए तक सीधा लोगों के खाते में जा रहे हैं. और लीकेज़ बंद हो रही है.

7. न्यू इंडिया को तैयार करने के लिए हमने रेलवे, ग्रामीण भारत में बिजली, नेशनल हाइवे, गांव में सड़क, घर और एयर कनेक्टविटी को बनाने पर काम कर रहे हैं.

8. 2018 तक हमारी सरकार पूरे देश में 100 प्रतिशत गांवों में बिजली पहुंचा देगी. वहीं 2014 में जहां एक दिन में 69 किमी. सड़क बनती थी अब 133 किमी. सड़कें बन रही हैं.

9. FY2014 में जहां 10 करोड़ लोग हवाई जहाज से सफर करते थे, अब 16 करोड़ सफर कर पा रहे हैं. हम लोग एयर कनेक्टविटी पर जोर दे रहे हैं.

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10. अटल इनोवेशन, मुद्रा योजना, स्टार्टअप के दम पर हम युवाओं को इनोवेशन करने का मौका दे रहे हैं. जिसका असर जल्द ही दिखेगा.

यशवंत सिन्हा का सरकार पर वार- गिरती GDP के बीच नोटबंदी आग में तेल डालने की तरह

पिता यशवंत ने सरकार पर किए थे ये 10 बड़े वार

1. अपने एक लेख में यशवंत सिन्हा ने कहा था कि देश की आर्थिक हालात काफी खराब है. सरकार आर्थिक स्तर पर कई क्षेत्रों में पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है.

2. यशवंत सिन्हा ने नोटबंदी के फैसले पर भी सरकार को आड़े हाथों लिया, उन्होंने कहा कि नोटबंदी ने गिरती जीडीपी में आग में तेल डालने की तरह काम किया. जीएसटी को ठीक तरीके से लागू नहीं किया गया, जिसके कारण नौकरी और बिजनेस पर काफी फर्क पड़ा है.

3. जीडीपी अभी 5.7 है, सभी को याद रखना चाहिए कि सरकार ने 2015 में जीडीपी तय करने के तरीके को बदला था. अगर पुराने नियमों के हिसाब से देखें तो आज के समय में 3.7 जीडीपी होती.

4. अरुण जेटली पर तीखा हमला किया और कहा कि वित्तमंत्री नाकाम रहे हैं. उनके पास मौका था लेकिन स्थिति सुधार नहीं पाए. उन्होंने कहा कि अरुण जेटली चुनाव हार गए थे फिर भी उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया.

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5. उन्होंने लिखा कि देश की अर्थव्यवस्था को सुधारना अब सबसे बड़ी चुनौती है. प्रधानमंत्री देश के आर्थिक हालात को लेकर चिंतित है इसलिए उन्होंने एक बार फिर से अपनी आर्थिक सलाहकार काउन्सिल को सुधारना होगा. जिस तरह महाभारत को जीतने के लिए पांडवों ने किया था.

6. यशवंत सिन्हा ने लिखा कि मैंने वित्त मंत्रालय संभाला है मुझे पता है ये आसान काम नहीं है. यह एक 24 घंटे का काम है जिसे जेटली जैसे सुपरमैन भी पूरा नहीं कर सकते हैं.

7. आज के समय में ना ही नौकरी मिल रही है और ना विकास तेज हो रहा है. इनवेस्टमेंट घट रही है और जीडीपी भी घट रही है.

8. यशवंत सिन्हा ने तंज कसते हुए कहा कि पीएम मोदी कहते हैं कि उन्होंने गरीबी को काफी करीबी से देखा है. ऐसा लगता है कि उनके वित्तमंत्री इस तरह का काम कर रहे हैं कि वह सभी भारतीयों को गरीबी काफी पास से दिखाएं.

9. उन्होंने कहा कि ये मेरी नेशनल ड्यूटी है कि मैं अब इसके बारे में बोलूं. बीजेपी में कई लोग ऐसे हैं जो कि डर की वजह से कुछ नहीं बोल पा रहे हैं.

10. यशवंत सिन्हा ने लिखा कि अरुण जेटली सबसे लकी वित्त मंत्रियों में से एक रहे हैं. लेकिन उसके बावजूद भी वह देश की अर्थव्यवस्था में कोई सुधार नहीं कर पाए हैं. 

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