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जेट एयरवेज की नीलामी प्रक्रिया शुरू, एसबीआई ने आमंत्रित की बोली

खस्ताहाल एयरलाइंस जेट एयरवेज की मुश्किल कम होती नहीं दिख रही, लेकिन इसकी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया सोमवार से शुरू हो गई है. फिलहाल कंपनी का मैनेजमेंट कंट्रोल एसबीआई के नेतृत्व वाले 26 बैंकों के कंशोर्टियम के हाथ में है.

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जेट एयरवेज की मुश्किल कम होने का नाम नहीं ले रही
जेट एयरवेज की मुश्किल कम होने का नाम नहीं ले रही

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भारतीय स्टेट बैंक ने वित्तीय संकट से जूझ रही जेट एयरवेज में हिस्सेदारी बेचने के लिए बोली आमंत्रित की है.  भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले 26 बैंकों के समूह ने जेट एयरवेज की लोन रीस्ट्रक्चरिंग योजना के तहत उस पर मैनेजमेंट कंट्रोल स्थापित किया है.

एसबीआई जेट एयरवेज के 'प्रबंधन और नियंत्रण में बदलाव' पर विचार कर रहा है. स्टेट बैंक, एयरलाइंस को कर्ज देने वाले कर्जदाताओं के समूह की अगुवाई कर रहा है. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, एसबीआई कैपिटल मार्केट्स बोली प्रक्रिया में कर्जदाताओं की सहायता करेगी और परामर्श देगी. बोलियां 10 अप्रैल तक जमा की जा सकती हैं.

गौरतलब है कि कर्ज समाधान योजना के तहत कर्जदाताओं के समूह ने जेट एयरवेज का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया है. जेट एयरवेज के निदेशक मंडल द्वारा 25 मार्च को मंजूर कर्ज समाधान योजना के तहत कर्जदाताओं ने एयरलाइंस में बहुलांश हिस्सेदारी ली और उसमें 1,500 करोड़ रुपये की पूंजी डालने की तैयारी में हैं.

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इसके अलावा एयरलाइंस के संस्थापक और प्रवर्तक नरेश गोयल के साथ उनकी पत्नी अनीता गोयल ने निदेशक मंडल से इस्तीफा दे दिया. गोयल की हिस्सेदारी भी 51 प्रतिशत से घटकर 25 प्रतिशत पर आ गई है. बीते सप्ताह कर्जदाताओं के समूह ने कहा था कि वे मौजूदा कानूनी तथा नियामकीय रूपरेखा के तहत समयबद्ध तरीके से समाधान योजना को आगे बढ़ाएंगे.

बैंक करेंगे 1,500 करोड़ का निवेश

कंपनी की कर्ज समाधान योजना को उसके निदेशक मंडल ने 26 मार्च को मंजूरी दी थी. इसके तहत कंपनी में बैंक बहुलांश हिस्सेदारी लेकर 1,500 करोड़ रुपये का निवेश करेंगे. गोयल की कंपनी में हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से घटकर 25 प्रतिशत रह जाएगी. इस नकदी संकट की वजह से कंपनी को पट्टे पर लिए अपने विमानों का किराया चुकाने, कर्मचारियों को वेतन देने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. कंपनी के अधिकतर विमान इसकी वजह से खड़े हैं. पिछले हफ्ते बैंकों के समूह ने अपने बयान में कहा था कि कंपनी की हिस्सेदारी बिक्री के प्रयासों का परिणाम इसमें रुचि लेने वाले पक्षों पर निर्भर करेगा. यदि इनका परिणाम अपेक्षित नहीं होता है तो अन्य विकल्पों पर विचार किया जाएगा.

बढ़ती जा रही समस्या

जनवरी 2019 तक देश की दूसरी सबसे बड़ी एयरलाइंस रही जेट एयरवेज के पास कभी 124 विमानों का बेड़ा था, लेकिन आज इसका संचालन सिर्फ 26 विमानों से हो रहा है. किराया न चुका पाने की वजह से इसके ज्यादातर विमान खड़े हो गए हैं. जेट के पास अपना सिर्फ 17 विमान है और बाकी उसने लीज पर ले रखा था. इसको लीज पर देने वाले दो फर्म एमसी एविएशन और एवोलोन ने नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के पास विमानों के डी रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया है. इसका मतलब यह है कि वे अपना विमान देश से बाहर ले जा सकते हैं और उसे दूसरे एयरलाइंस को लीज पर दे सकते हैं. इसका मतलब यह है कि जेट का संकट अभी और बढ़ सकता है.

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