जेट एयरवेज और एतिहाद के बीच 2,058 करोड़ रुपये से अधिक के सौदे को लेकर जारी विवाद के बीच सरकार ने मंगलवार को कहा कि बिक्री सौदे की अभी जांच चल रही है.
सरकार ने यह भी कहा कि भारत तथा आबु धाबी के बीच हवाई सेवा समझौते को लेकर मंत्रालयों के बीच कोई मतभेद नहीं है. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की तरफ से जारी यह बयान सौदे को लेकर उठाई गई आपत्तियों के बाद सामने आया है. इस मामले में वरिष्ठ सांसद जसवंत सिंह, भापका नेता गुरूदास दासगुप्ता, दिनेश त्रिवेदी (तृणमूल कांग्रेस) तथा जनता पार्टी के प्रमुख सुब्रम्ण्यन स्वामी ने सौदे पर आपत्ति उठाई.
इन सभी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अलग-अलग पत्र लिखा था. पीएमओ ने यह भी कहा कि भारत और अबू धाबी के बीच हवाई सेवा समझौते तथा जेट-एतिहाद इक्विटी प्रस्ताव को लेकर सरकार में मतभेद की रिपोर्ट पूरी तरह गलत और आधारहीन है. बयान में कहा गया है, 'इस मामले में सरकार या मंत्रियों तथा प्रधानमंत्री के बीच कोई मतभेद नहीं है. प्रधानमंत्री हवाई सेवाओं के बारे में द्विपक्षीय समझौते से न तो हाथ पीछे खींच रहे हैं और न ही प्रधानमंत्री कार्यालय इस मामले में अपनी बात से पलटने का प्रयास कर रहा है.'
जेट एयरवेज और अबु धाबी की कंपनी एतिहाद एयरवेज के बीच हिस्सेदारी बिक्री सौदे के बारे में पीएमओ ने कहा कि यह पूरी तरह से अलग मुद्दा है और यह दो निजी क्षेत्र की कंपनियों के बीच हुआ समझौता है. पीएमओ ने कहा, 'यह मामला निजी क्षेत्र की दो पार्टियों के बीच का है जिसे संबंधित एजेंसियों द्वारा क्षेत्र के नियम कानूनों के तहत मंजूरी दी जानी है. यह दो सरकारों के बीच का समझौता नहीं है, इसलिए इस मामले में पीछे हटने अथवा मुकरने का सवाल ही नहीं उठता है, क्योंकि यह सरकार के साथ हुआ समझौता नहीं है.'
पीएमओ ने कहा, 'जहां तक इक्विटी बिक्री का मामला है, मामले की जांच अभी जारी है.' इस सौदे को लेकर जो भी मुद्दे उठाये गये हैं उसे नागरिक उड्डयन मंत्रालय, औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग, आर्थिक मामले और कापरेरेट कार्य मंत्रालय को जांच एवं जरूरी कारवाई के लिए भेज दिये गये हैं. यह मंत्रालय और विभाग शिकायत के विभिन्न मामलों से जुड़े हैं. पीएमओ वक्तव्य में कहा गया है जहां तक सुरक्षा से जुड़ा मामला है उसे जांच के लिये कैबिनेट सचिवालय को भेजा गया है. सचिवालय से पूछा गया है कि क्या इसमें किसी मुद्दे पर फिर से गौर करने की आवश्यकता है.
कैबिनेट सचिव ए.के. सेठ ने जेट एतिहाद मुद्दे पर विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के सचिवों के साथ बैठक की उसके बाद ही पीएमओ की तरफ से यह वक्तव्य जारी किया गया. इस प्रकरण पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए पीएमओ ने घटनाओं के क्रम का ब्योरा देते हुए कहा है कि वह कैबिनेट में विचार के लिए तैयार कैबिनेट नोट में कुछ संशोधन चाहता था. वक्तव्य में कहा गया है, 'इसमें कहीं भी इस उस नोट में सुझाए गए फैसले को बदलने के बारे में कोई सुझाव नहीं दिया गया था, यह नोट इस संबंध में पहले हो चुके सहमति ज्ञापन (एमओयू) की मंजूरी से संबंधित था.'
संयुक्त अरब अमीरात की एतिहाद ने 24 अप्रैल को जेट एयरवेज में 24 प्रतिशत हिस्सेदारी 2,058 करोड़ रुपये में खरीदने की घोषणा की. 13 जून को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) ने सौदे में नियंत्रण को लेकर कुछ स्थिति स्पष्ट करने की जरूरत बताते हुए फैसला टाल दिया. जेट एयरवेज के चेयरमैन नरेश गोयल की एयरलाइन में 51 प्रतिशत भागीदारी है. नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह ने सौदे का बचाव करते हुए कहा, 'जो इसका विरोध कर रहे हैं वह राजनीति ज्यादा और तथ्यों पर कम ध्यान दे रहे हैं. यह महत्वपूर्ण सौदा है. यह नागरिक उड्डयन क्षेत्र में एफडीआई मामले में पहला बड़ा सौदा है. यह इस साल किसी भी दूसरे सौदे से बड़ा है.'
विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा, 'सौदे की पड़ताल जारी है. इस तरह के सौदों को एफआईपीबी मंजूरी देता है और कभी कभी स्पष्टीकरण भी मांगता है. मुझे नहीं लगता किसी सौदे को रोका जाता है. इसकी जांच पड़ताल की जा रही है जैसा कि हर सौदे की की जाती है.' प्रधानमंत्री ने मामले को केन्द्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष लाये जाने का पहले ही निर्देश दे दिया था. सीट पात्रता विस्तार अथवा जेट एतिहाद इक्विटी सौदे के बारे में कोई भी शिकायती पत्र मिलने से पहले ही यह निर्देश दे दिया गया था. सरकार जहां एक तरफ सौदे का बचाव कर रही है वहीं कम्युनिस्ट पार्टी के नेता गुरदास दासगुप्ता ने इस बारे में एक और पत्र प्रधानमंत्री को लिखा है जिसमें कहा गया है, 'यूएई को 37,000 अतिरिक्त सीटों के लिये उड़ान संचालन का अधिकार दिया जाना एक तरह से जेट एयरवेज को फायदा पहुंचाने के लिये भारत द्वारा यूएई को दी गई कीमत है, क्योंकि बिना इस प्रकार का लाइसेंस दिये एतिहाद जेट एयरवेज में हिस्सेदारी खरीदने का इच्छुक नहीं था.'
भाजपा नेता और पूर्व नागरिक उड्डयन मंखी शाहनवाज हुसैन ने कहा, 'मामले में कुछ तो गड़बड़ है. प्रधानमंत्री कार्यालय को इस मुद्दे को स्पष्ट करना चाहिये.'