आर्थिक मंदी और नौकरी खोने का डर लोगों को इस कदर सताने लगा है कि अब लोग बैंक से लोन लेने से डरने लगे हैं. डर इस बात का कि अगर नौकरी चली गई, तो लोन कैसे चुकाएंगे.
अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत से भी लोगों के मनोबल पर काफी असर पड़ा है. यह भी एक वजह है कि लोग अब बैंक से कर्ज लेने में भी घबराने लगे हैं. एसोचैम की रिपोर्ट में दिये गये बैंकिंग आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्तीय वर्ष में फिक्स्ड डिपोजिट के अगेंस्ट लिये जाने वाले लोन में 1.6 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि अगस्त 2012 से 2013 के बीच 20 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई थी. हालांकि इसके पीछे ब्याज दरों में मजबूती भी एक वजह है, क्योंकि लिक्विडिटी कंट्रोल करने के लिए बचत खातों पर मिलने वाले ब्याज दर में इजाफा देखने को मिला है.
वहीं क्रेडिट कार्ड पर बकाया रकम पर ऊंची ब्याज दर होने के कारण लोग क्रेडिट कार्ड का पेमेंट भी वक्त पर करने लगे हैं. इसी वजह से क्रेडिट कार्ड आउटस्टैंडिंग में 5.2 फीसदी की नेगेटिव ग्रोथ देखने को मिली है. परेशानी सिर्फ लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि बैंक के लिए भी बढ़ी है. नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स से परेशान बैंक अब बड़े कॉरपोरेट्स या कंपनियों को भी लोन देने से हिचकिचान लगे हैं.