भारत में अर्थशास्त्र के पुरोधा माने जाने वाले कौटिल्य को देश के वाषिर्क आम बजट भाषण में चौथी बार जगह मिली. तीन बार तो मौजूदा वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ही कौटिल्य के नाम का जिक्र कर चुके हैं. मुखर्जी ने आज से पहले जुलाई 2009 में कौटिल्य का जिक्र किया था और 1984-85 के बजट प्रस्ताव पढते समय भी उन्होंने ऐसा ही किया था.
चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में प्रधानमंत्री रहे कौटिल्य को यशवंत सिन्हा ने 1999-2000 में पेश बजट में उदधृत किया था. वह उस समय राजग सरकार में वित्त मंत्री थे.
वर्ष 2010-11 का आम बजट पेश करते हुए प्रणव मुखर्जी ने कहा, ‘कर प्रस्ताव तैयार करते समय, मैंने सुदृढ कर प्रशासन के सिद्धांतों से मार्गदर्शन लिया है, जैसा कौटिल्य के निम्नलिखित शब्दों में अंतर्निहित है. एक बुद्धिमान महासमाहर्ता राजस्व संग्रहण का कार्य इस प्रकार करेगा कि उत्पादन और उपभोग अनिष्ट रूप से प्रभावित न हों. लोक संपन्नता, प्रचुर कृषि उत्पादकता और अन्य बातों के साथ वाणिज्यिक समृद्धि पर वित्तीय संपन्नता निर्भर करती है.’
पिछले साल जुलाई में 2009-10 के अपने बजट भाषण में प्रणव ने कहा था कि अल्पकालिक राजकोषीय प्रोत्साहक पैकेज का संतुलन दीर्घकालिक सावधानी एवं राजकोषीय सुदृढता के उद्देश्य के हिसाब से करना होगा. आज के भाषण का समापन करते हुए वित्त मंत्री ने कहा, ‘यह बजट आम आदमी का है. यह किसानों, उद्यमियों और निवेशकों का है. बढिया अवसर है. यह सही समय है. मैंने ऐसे लोगों के हाथों पर भरोसा किया है, जिन्हें मैं जानता हूं, उन पर राष्ट्रहित में किसी भी अवसर पर खड़े होने के लिए विश्वास किया जा सकता है. मैंने राष्ट्र के सामूहिक विवेक पर भरोसा किया है, जिनका आगामी वषरें में अकल्पनीय उंचाइयों पर पहुंचने के लिए सहारा लिया जा सकता है.’