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खरीफ बुवाई 1054 लाख हेक्टेयर के पार, इस साल दाल गलने की संभावना

मध्य भारत में हुई अच्छी बारिश का सबसे बेहतरीन असर दलहनी फसलों की बुवाई पर दिख रहा है.

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दलहन की बुवाई में भी तेजी
दलहन की बुवाई में भी तेजी

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इस बार देश के उन इलाकों में अच्छी बारिश दर्ज हुई है जिनमें पिछले दो सालों से सूखे की स्थिति थी. एक बड़े इलाके में मानसून की स्थिति सामान्य रहने की वजह से इस बार खरीफ फसलों की बुवाई पिछले साल के मुकाबले अच्छी रही है. इस बार 9 सितंबर तक खरीफ फसलों का बुवाई रकबा पिछले साल के मुकाबले तकरीबन 42.14 लाख हेक्टेयर ज्यादा रहा है. कृषि मंत्रालय के मुताबिक अबतक खरीफ का कुल बुवाई क्षेत्र 1054 लाख हेक्टेयर से अधिक हो गया है, जबकि पिछले साल इस समय यह आंकड़ा 1012.35 लाख हेक्‍टेयर था. इस बार बारिश का वितरण देश के एक बड़े इलाके में अच्छा रहा है इसके चलते किसानों ने खरीफ की फसलों की अच्छी बुवाई की है.

मध्य भारत में हुई अच्छी बारिश का सबसे बेहतरीन असर दलहनी फसलों की बुवाई पर दिख रहा है. 9 सितंबर तक इसके बुवाई रकबे में जोरदार बढ़ोतरी देखी गई है. पिछले साल 9 सितंबर तक दालों की बुवाई 111.48 लाख हेक्टेयर रकबे में हुई थी. लेकिन खरीफ सीजन में इस बार दलहन फसलों का बुवाई रकबा 143.95 लाख हेक्टेयर रहा है. खास बात ये है कि दक्षिण भारत में मूंग दाल की फसल बाजार में आनी शुरू हो चुकी है. किसानों की फसल जल्दी आने की वजह से केंद्र सरकार ने इस बार 1 अक्तूबर की बजाय 1 सितंबर से ही सरकारी खरीद शुरू कर दी है. बंपर फसल की संभावना के चलते देश भर में दाल के भाव टूटने शुरू हो गए हैं.

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खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान मानी जाती है और धान की मानसून पर निर्भरता बहुत हद तक है. इस बार समय पर अच्छी बारिश के चलते देश में धान की बुवाई का रकबा पिछले साल के 276.10 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 380.28 लाख हेक्टेयर रहा है, यानी धान उत्पादक राज्यों में रकबे में बढ़ोतरी दर्ज हुई है. धान की बुवाई बेहतर रहने के साथ जोरदार बारिश का दौर चलने की वजह से इसके चावल के उत्पादन में इस बार बढ़त होने की खासी संभावना है. खास बात ये है कि समय पर बारिश होने की वजह से धान की फसल में किसी भी तरह का कीट या बीमारी की खबर नहीं है. इससे किसानों की धान में नुकसान न होने की पूरी संभावना नजर आ रही है.

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