वित्तीय संकट में बुरी तरह फंसी निजी क्षेत्र की विमानन कम्पनी किंगफिशर एयरलाइंस के उड्डयन लाइसेंस की वैधता अवधि सोमवार को खत्म हो गई. संचालन फिर से शुरू कर पाने की कोई उम्मीद नहीं दिखने के कारण कम्पनी के शेयरों में सोमवार को गिरावट दर्ज की गई.
बताया गया कि नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने कम्पनी से यह जानकारी मांगी थी कि उड़ानों का संचालन फिर से शुरू करने की योजना के लिए धन की व्यवस्था कैसे होगी. लाइसेंस के नियमित नवीनीकरण की आखिरी तिथि 31 दिसम्बर थी. कम्पनी ने पिछले सप्ताह महानिदेशालय के पास शिड्यूल्ड ऑपरेटर्स परमिट (एसओपी) के नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था. विमानन कम्पनी के कर्मचारियों द्वारा बकाए वेतन के भुगतान के लिए की गई हड़ताल के बाद एक अक्टूबर से कम्पनी उड़ानों का संचालन नहीं कर पाई.
इसके बाद महानिदेशालय ने 20 अक्टूबर को कम्पनी का परमिट नीलम्बित कर दिया था, क्योंकि कम्पनी उड़ानों का संचालन शुरू कर पाने की भरोसेमंद योजना पेश नहीं कर पाई थी. नियमों के मुताबिक कम्पनी के पास हालांकि दो सालों में लाइसेंस फिर से हासिल करने की मोहलत होगी. लेकिन इससे पहले उसे वित्तीय प्रबंधन की ठोस योजना लेकर सामने आना होगा.
उड़ानों का संचालन फिर से शुरू करने की योजना में कम्पनी ने कहा था कि उसे एक साल ेमें वेतन के भुगतान, संचालन तथा अन्य मदों पर खर्च के लिए 6.52 अरब रुपये की जरूरत होगी. कम्पनी पर 7,524 करोड़ रुपये का भारी भरकम कर्ज है तथा उसे अब तक 8,000 करोड़ रुपये का घाटा हो चुका है. कर्जदाताओं ने हाल में कम्पनी के प्रमोटर विजय माल्या की बैंक गारंटी की मांग को ठुकरा दिया, जबकि विजय माल्या ने फरवरी तक कम्पनी के शेयरों में 105 करोड़ रुपये का निवेश करने का वादा किया था.
कम्पनी ने अबूधाबी की विमानन कम्पनी एतिहाद एयरवेज से निवेश हासिल करने की भी कोशिश की, लेकिन इस कोशिश में उसे अब तक सफलता नहीं मिली. सोमवार को बम्बई स्टॉक एक्सचेंज में कम्पनी के शेयर 2.36 फीसदी गिरावट के साथ 14.92 रुपये पर बंद हुए. दिन भर के कारोबार में कम्पनी के शेयरों ने 14.75 रुपये का निचला स्तर छुआ. पिछले कारोबारी सत्र में कम्पनी के शेयर 15.28 रुपये पर बंद हुए थे.