अभिभाषण के बाद पिछले साल अर्थव्यवस्था का लेखाजोखा यानी आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया है. सर्वेक्षण की रिपोर्ट को आने वाले बजट की झलक के तौर पर देखा जाता है.
चीफ इकनोमिक एडवाइजर की आर्थिक सर्वेक्षण पर की अहम बातें
#नोटबंदी का लंबे समय में असर नहीं
#नोटबंदी का कृषि में बोवाई में कुछ प्रभाव नहीं
#दो महीने में नोटबंदी से पैदा कमी होगी दूर पर्याप्त केश होगा मार्किट में
# नोटबंदी की तुलना करना गलत
# 2017-18 में जीडीपी 6.75 से 7.5 फीसदी तक रहेगी
तमाम रेटिंग एजेंसी भारत को कम आंकती हैं ये सही नहीं रेटिंग एजेंसियों का स्तर खराब
चीन और भारत की तुलना गलत की है
ग्रोथ और क्रेडिट ग्रोथ पर चीन को ऊपर रखा जबकी भारत को 6 स्तर नीचे रखा जबकी चीन में मौजूदा हालत खराब
हमें रेटिंग एजेंसी पर सवाल खड़ा करना चाहिए
नोटबंदी का लक्ष्य कालाधन और जाली करेंसी ख़त्म करना है
तमाम प्रगति के बावजूद अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता नोटबंदी और बेरोजगारी के चलते है.
नोटबंदी का विश्लेषण-
#नोटबंदी के डिज़ाइन और लागू करने पर हम नहीं बोलेंगे
# नोटबंदी के नुक्सान और फायदे- कुछ समय के लिए लोगों को खामियाज़ा उठाना पड़ा पर लंबे समय में फायदा
#कैश डिपाजिट कम होगा, कालाधन भी, इससे जीडीपी में बढ़ोतरी होगी और टैक्स जमाकरने में भी बढ़ोतरी
#ज़्यादा डिटेल में नहीं नफा नुकसान जोड़ सकते क्योंकि ये इतिहास में पहले बार हुआ है इसकी तुलना नहीं कर सकते
#कैश का सप्लाई कम हुआ और डिपॉज़िट बढ़ी हैं
# जहां तक कीमत की बात है डिपॉज़िट का रेट कम हुआ और कैश का प्राइज ऊपर गया
#8 नवंबर से 8 दिसंबर तक कैश का अकाल कम है पर मानसिक तौर पर ज़्यादा लगा
#दो महीने में पूरा नोटबंदी का असर पूरी तरह ख़त्म हो जायेगी और पैसा पर्याप्त होगा
कृषि के क्षेत्र में -
गेहूं और रबी की फसल पर कोई नोटबंदी का प्रभाव नहीं
बुवाई पर नोटबंदी का असर नहीं
बैंक क्रेडिट नीचे गिरा रुरल क्रेडिट भी कम हुआ
रियल एस्टेट के दाम गिरे जो लक्ष्य भी था
अर्थव्यवस्था की बड़ी चुनौती
#असक्रिय वितरण: स्वास्थय और शिक्षा में राज्य पीछे हैं अभी वो तेज़ी नहीं
#प्राइवेट सेक्टर प्रॉपर्टी राइट पर सफाई नहीं