आखिर कौन है भारतीय मूल का यह बिजनेसमैन प्रेम वत्स, जो दुनिया के अग्रणी मोबाइल ब्रांड में से एक ब्लैकबेरी को खरीदने की जुर्रत कर रहा है. दरअसल वत्स टोरंटो बेस्ड कंपनी फेयरफैक्स फाइनांशियल के चीफ एग्जिक्यूटिव हैं.
साल 1950 में हैदराबाद में जन्मे वत्स पिछले महीने तक ब्लैकबेरी बोर्ड के सदस्य भी हुआ करते थे. वत्स ने साल 2012 की शुरुआत में कंपनी के टर्नअराउंड प्लान में मदद करने के लिए ब्लैकबेरी ज्वाइन किया था. फेयरफैक्स अभी वाटरलू स्थित कंपनी ब्लैकबेरी में सबसे बड़ा शेयर धारक भी है. फेयरफैक्स द्वारा ब्लैकबेरी को खरीदने की चर्चा शुरू होने के साथ ही अगस्त के मध्य में वत्स ने ब्लैकबेरी बोर्ड से रिजाइन कर दिया था.
भारत में पले-बढ़े
वत्स ने साल 1971 में इंडियन इंस्टिच्यूट ऑफ टेक्नालॉजी से केमिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया था. हालांकि 1972 में वे ओंटारियो चले गए और बाद में यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ओंटारियो से एमबीए की डिग्री हासिल की.
बीमा कंपनी के साथ की करियर की शुरुआत
वत्स ने अपने करियर की शुरुआत टोरंटो के कंफिडरेशन लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के साथ की. वे 1974 से 1983 तक कंफिडरेशन लाइफ इंवेस्टमेंट कौंसिल में वाइस प्रेसिडेंट के पद पर रहे. इसके बाद वे जीडब्ल्यू एसेट मैनेजमेंट कंपनी के साथ वाइस प्रेसिडेंट के रूप में जुड़े. साल 1984 में उन्होंने कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर हंबलिन वत्स इंवेस्टमेंट काउंसिल लिमिटेड की स्थापना की, जिस पर अब पूरी तरह से फेयरफैक्स का स्वामित्व है. फेयरफैक्स की शुरुआत 1987 में वत्स द्वारा मार्केट फाइनांशियल होल्डिंग्स लिमिटेड के अधिग्रहण के बाद हुई थी. मार्केट फाइनांशियल होल्डिंग्स लिमिटेड का नाम ही बाद में बदलकर फेयरफैक्स कर दिया गया था.
वत्स ने इसके बाद कनाडा में निवेश के कई कीर्तिमान स्थापित किए. कंपनियों में निवेश करने और उनसे अप्रत्याशित लाभ कमाने के लिए वत्स को कनाडा का 'वारेन बफेट' भी कहा जाने लगा. वत्स के कई निवेश को शुरुआत में घाटे वाला सौदा बताया जाता रहा, लेकिन उनकी दूरदर्शिता ने लगभग हर डील से उन्हें फायदा ही पहुंचाया. साल 2009 में वत्स यूनिवर्सिटी ऑफ वाटरलू के नौवें चांसलर भी बनाए गए.
शेयर बाजार का जादूगर
वत्स ने जिस तरीके से अमेरिका में सबप्राइम संकट के दौरान भी लाभ कमाया, इससे उन्हें शेयर बाजार का जादूगर भी कहा जा सकता है. सबप्राइम संकट के बाद यूएस के शेयर बाजारों ने रिटर्न देना बंद कर दिया था, लेकिन साल 2007-2008 में भी फेयरफैक्स ने अपने निवेश से जम कर मुनाफा कमाया. इतना ही नहीं कंपनी ने 2009 में रिकवरी के समय भी बाजार से बेहतर रिटर्न वसूला.