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बजट 2018: क्या FDI पर यूटर्न ही है मोदी सरकार का आखिरी दांव?

इस मंजूरी को देने के पीछे केन्द्र सरकार की दलील है कि एफडीआई नीति में सुधार से डिफेंस, कंस्ट्रक्शन डेवलपमेंट, इंश्योरेंस, पेंशन, अन्य वित्तीय सेवाओं समेत ब्रॉडकास्टिंग, सिविल एविएशन और फार्मा सेक्टर में निवेश लुभाने के लिए यह जरूरी है.

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एफडीआई नीति में बड़े फेरबदल
एफडीआई नीति में बड़े फेरबदल

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पूर्व यूपीए सरकार के कार्यकाल में मल्टी-ब्रांड रिटेल में एफडीआई का रास्ता खोलने का फैसला हुआ. इस फैसले के विरोध में तब विपक्ष में बैठी एनडीए ने यूपीए सरकार पर मल्टीनेशनल कंपनियों के दबाव में आने का आरोप लगाया. अब सत्ता में एनडीए सरकार ने सिंगल ब्रांड रिटेल में 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दे दी है.

इस मंजूरी को देने के पीछे केन्द्र सरकार की दलील है कि एफडीआई नीति में सुधार से डिफेंस, कंस्ट्रक्शन डेवलपमेंट, इंश्योरेंस, पेंशन, अन्य वित्तीय सेवाओं समेत ब्रॉडकास्टिंग, सिविल एविएशन और फार्मा सेक्टर में निवेश लुभाने के लिए यह जरूरी है.

केन्द्र सरकार को उम्मीद है कि इस फैसले से देश में अधिक बड़ा निवेश देखने को मिलेगा. इस निवेश के सहारे देश में रोजगार के नए संसाधन खड़े होंगे. 2019 के आम चुनावों से पहले सरकार के फ्लैगशिप प्रोग्राम 'मेक इन इंडिया' को सफल बनाने का मौका भी मिलेगा.

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वित्त वर्ष 2014-15 में सरकार को 45 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश मिला था वहीं 2013-14 में यह महज 36 बिलियन डॉलर था. फिर 2015-16 में सरकार को कुल 55.46 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश मिला. वित्त वर्ष 2016-17 एफडीआई के मामले में बेहद खास रहा और कुल एफडीआई 60 बिलियन डॉलर से पार निकल गया. इन आंकड़ों से सरकार को उम्मीद है कि सिंगल ब्रांड रिटेल में 100 फीसदी एफडीआई मौजूदा समय में रोजगार का नया संसाधन खड़ा करने में सहायक होगा.

इसे पढ़ें: सिंगल ब्रांड रिटेल और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में 100 फीसदी FDI को मंजूरी

एनडीए सरकार की एफडीआई नीति में आए इस बदलाव पर खुद बीजेपी के सहयोगी संगठन अपनी राय नहीं तय कर सके हैं. बीजेपी ने सभी केन्द्रीय मंत्रियों से कहा है कि वह जल्द से जल्द पार्टी के अंदर लोगों को सिंगल ब्रांड रिटेल से होने वाले फायदों के बारे में बताएं.

इसके साथ ही खुद प्रधानमंत्री मोदी ने केन्द्रीय बजट से महज कुछ दिन पहले इस यू-टर्न के जरिए संकेत दिया है कि यह उनकी सरकार बड़ा निवेश लाने के लिए सभी मोर्चों पर लगी हुई है. केन्द्रीय बजट से पहले ही प्रधानमंत्री समेत कई केन्द्रीय मंत्रियों का दल ग्लोबल इंवेस्टर्स से मुलाकात कर रहा है. साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अहम मुलाकात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से होने जा रही है.

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एफडीआई पर भारतीय मजदूर संघ ने कहा है कि वह केन्द्रीय बजट के बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने सरकार के इस फैसले पर अपना रुख साफ करेगी. इस दौरान वह इस फैसले के परखने के लिए मौजूदा समय तक एफडीआई से हुए फायदे का ऑडिट करने का काम करेगी. यदि इस ऑडिट में उन्हें सिंगल ब्रांड रिटेल में 49 फीसदी एफडीआई क्या फायदा पहुंचा है. यदि मजदूर संघ को इस क्षेत्र में एफडीआई का फायदा नहीं पहुंचा है तो वह इसका विरोध करेगी.

इसे पढ़ें: बजट 2018: नई नौकरियां मोदी सरकार की सबसे बड़ी चुनौती, क्या होगा समाधान?

गौरतलब है कि मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में एफडीआई पर हुए फैसलों का विरोध करने में बीजेपी मुखर रही है. उस वक्त बीजेपी सरकार ने दलील दी थी कि मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई से घरेलू बाजार को नुकसान पहुंचेगा और देश में मल्टीनेशनल कंपनियों का दबदबा बढ़ेगा.

हालांकि मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान सरकार के इस रुख में परिवर्तन हुआ. हालांकि अब केन्द्र सरकार का मानना है एफडीआई देश में तेज विकास के लिए बेहद अहम है. एफडीआई के जरिए देश में रोजगार के नए संसाधन आसानी से पैदा किए जा सकते हैं.

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