वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को संसद में साल 2016-17 का आम बजट पेश किया. उद्योग जगत से लेकर आम जन तक हर किसी को मोदी सरकार के इस दूसरे बजट से अपेक्षाएं थीं. लेकिन जैसा कि जेटली पहले ही कह चुके थे यह लोकलुभावन बजट नहीं होगा. आइए जानते हैं बजट को लेकर क्या राय रखते हैं हमारे आर्थिक विशेषज्ञ अंशुमान तिवारी-
आम बजट की मुख्य बातें, जिसका होगा आप पर असर
- कर विवादों के लिए नई विवाद निस्तारण कस्की मददगार.
- सेस लगने से सभी सेवाएं होंगी मंहगी. बिजली की दर भी बढने की संभावना.
- जेटली के बजट में 20600 करोड़ के कुल नए टैक्स.
- सस्ते मकानों पर सेवा कर से रियायत, हाउसिंग को मिलेगी मदद.
- डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स: दस लाख रुपये से अधिक लाभांश धारकों पर टैक्स बढ़ा.
- ऊंची आय पर सरचार्ज बढ़ा.
- बाजार ढहा निफ्टी 121 अंक नीचे.
- एक और नया सेस, कृषि कल्याण सेस.
- डीजल कारों पर इन्फ्रा सेस और नए कृषि कल्याण सेस से महंगाई बढ़ेगी.
- क्लीन एनर्जी सेस भी बढ़ा.
- नए सेस व टैक्स की मार.
- जेटली के तीसरे बजट में नए सेस परोक्ष टैक्स की मार. सभी सेवआों पर कृषि कल्याण सेस, डीजल व कारों पर इन्फ्रा सेस, कोयले पर क्लीन एनर्जी सेस बभी बढ़ा.
- भारत में इस बजट से कंजेशन टैक्स की शुरुआत हो रही है.
- छोटे उद्यमियों और प्रोफेशनल के लिए प्रिजम्पिटिव टैक्सेशन स्कीम
- कॉरपोरेट टैक्स के लिए पूरा पैकेज. नई मैन्युफैक्चरिंग कंपिनयों के लिए 25 फीसदी कॉरपोरेट टैक्स. लेकिन अन्य रियातयें नहीं. नए निवेश और मेक इन इंडिया को बढ़ावा.
- होम रेंट पर कर छूट बढ़ी, किराएदारों को फायदा.
- महत्वपूर्ण: GAAR अगले साल से लागू होगा.
- अभी तक यह पूरी तरह न्यूट्रल बजट है. कोई बड़ा सुधार नहीं, हाउसकीपिंग की कारीगरी.
- सब्सिडी: फर्टिलाइजर सब्सिडी को सीधे किसान तक पहुंचाने के लिए डीबीटी नेटवर्क का इस्तेमाल महत्वपर्ण, लेकिन खाद्य सब्सिडी को लेकर कोई घोषणा नहीं.
- महंगाई पर ठोस रणनीति नहीं. सरकार 900 करोड़ रुपये के प्राइस स्टेबालाइजेशन फंड के भरोसे.
- राजकोषीय घाटा 2016 संशोधित अनुमान में 3.9 फीसदी पर. 2017 के लिए 3.5 फीसदी का लक्ष्य.
- राजकोषीय घाटे को लेकर सख्ती जारी रहेगी. लेकिन लक्ष्य को हासिल करने की उम्मीद नहीं.
- महत्वपूर्ण: गैर योजना खर्च की मद खत्म होगी.
- योजना खर्च में केवल 15 फीसदी की बढ़ोतरी बताती है कि वित्त मंत्री घाटे को लेकर सख्ती बनाए रखेंगे.
- टैक्स रिफॉर्म को लेकर काफी सुगठित एजेंडा.
- छोटे करदाताओं को 87A में राहत, 3000 का टैक्स बचेगा.
- FDI-बीमा पेंशन, स्टॉक मार्केट में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने के संकेत.
- वित्तीय सुधार: बैंकरप्सी कोड इस साल आएगा. रिजर्व बैंक एक्ट में संशोधन ताकि ब्याज दरें एक कमेटी तय करे.
- पोंजी स्कीम को रोकने के लिए नया कानून लाया जाएगा.
- बैंक रिकैपटाइलेजशन के लिए 25000 करोड़ अपेक्षाओं से कम, शेयर बाजार में निराशा बढ़ी.
- रिटेल: शॉपिंग मॉल की तरह सभी छोटी दुकानें भी पूरे सात दिन खुलेंगे. शॉप्स एंड इस्टेब्लिशमेंट एक्ट में बदलाव होंगे. राज्यों पर छोड़ा अंतिम फैसला.
- बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए दो लाख करोड़ रुपये का प्रावधान, सड़क पर ज्यादा फोकस.
- सड़क परिहवन में महत्वपूर्ण सुधार, यात्री हिस्से के निजीकरण करने की तैयारी. बड़े पैमाने पर उतरेंगे ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर, ऑटो सेक्टर के लिए मांग बढ़ेगी. रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.
- इस सुधार के लिए मोटर व्हेकिल एक्ट में संशोधन होगा.
- बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निजी और सरकारी एजेंसियों के बीच विवाद निस्तारण के लिए नए कानूनी उपाय सुविधा बढ़ाएंगे.
- रोजगार: महत्वपूर्ण सरकार नए कर्मचारियों के लिए पीएफ का आांशिक खर्च उठाएगी ताकि औपचारिक रोजगार बढ़ सके. रोजगार बढ़ाने पर कर रियायत भी.
- ग्रामीण पैकेज: अपेक्षाओं के मुताबिक सिंचाई परियोजनाएं फास्ट ट्रैक में, मनरेगा के लिए आवंटन बढ़ा, ग्रामीण सड़कों के लिए ज्यादा पैसा, ग्रामीण बिजली के लिए आवंटन बढ़ा. समग्र ग्रामीण विकास के लिए 87760 करोड़.
- स्कीम परिवार में इजाफ ग्रामीण एलपीजी के लिए नई स्कीम.
- सस्ती दवाओं के लिए जनौषधि सरकार की प्रमुख स्कीम होगी. हालांकि, स्कीम का पुराना रिकॉर्ड उत्साहवर्धक नहीं.
- शेयर बाजार: सब्सिडी आधारित स्कीमों की भरमार दोनों सूचकांक लाल निशान में.
- किसानों को बकाया कर्ज पर ब्याज के बोझ से बचाने के लिए 15000 करोड़ का आवंटन.
- ग्रामीण विकास: ग्राम पंचायतों को प्रति पंचायत 80 लाख रुपये अनुदान, प्रधानों की चांदी.
- वित्त आयोग की रिपोर्ट के अनुसार बढ़ेगा यह अनुदान.
- लंबित सिंचाई परियोजनाओं पर मिशन मोड में आगे बढ़ना वक्त की जरूरत.
- नया सुधार फर्टिलाइजर डिस्ट्रीब्यूशन का आधुनिकीकरण, कंपोस्ट की बिक्री.
- 89 सिंचाई परियेाजनाएं फास्ट ट्रैक मोड में.
- महत्वपूर्ण यूनीफाइड एग्रीमार्केट स्कीम के जरिए ई-मार्केट, जिससे मंडिया जुड़ेंगी.
- पे कमीशन और ओआरओपी का बोझ आएगा. खर्च के ढांचे में बदलाव, खर्च में कटौती की संभावना.
- गरीबों को सस्ता एलपीजी. सब्सिडी का बोझ बढ़ना तय.
- महत्वपूर्ण आधार को मिलेगा कानूनी आधार ताकि सभी तरह की सेवाएं इससे जोड़ी जा सकें. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर.
- शेयर बाजार: जनरल इंश्योरेंस कंपनियों को शेयर बाजार में सूचीकरण, बाजार हरे निशान में.
- कृषि-सिंचाई के लिए नई बुनियादी ढांचा लंबित परियोजनाओं पर फोकस, 170000 करोड़ अगले साल 23 अगले साल तक पूरे होंगे.
- ग्लोबल रिस्क बढ़ने का अंदेशा. फिस्कल डेफशिट को लेकर सख्ती की संभावना.