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कर्ज में डूबे बैंकों को बचाने के सरकार के 'मेगा प्लान' को लोकसभा से मंजूरी

लिहाजा, बीमार बैंकों को अब 80 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त फंड देकर कोशिश की जाएगी कि देश में क्रेडिट ग्रोथ में इजाफे के साथ-साथ नई नौकरियां पैदा करने का काम किया जाए.

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सरकारी बैंक और एनपीए
सरकारी बैंक और एनपीए

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सरकारी बैंकों को मजबूत करने के लिए केन्द्र सरकार को मेगा प्लान के तहत 80 हजार रुपए अतिरिक्त खर्च करने की मंजूरी लोकसभा से मिल चुकी है. देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के मेगा प्लान के तहत केन्द्र सरकार ने 2.1 लाख करोड़ रुपये के कर्ज तले दबे सरकारी बैंकों को मार्च 2018 तक 80 हजार करोड़ रुपये देने का प्रस्ताव रखा था. अब इस प्रस्ताव पर राज्यसभा में बहस हो रही है.

गौरतलब है कि अक्टूबर 2017 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकारी बैंकों के रीकैपिटैलाइजेशन को मंजूरी दे दी थी. लिहाजा, बीमार बैंकों को अब 80 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त फंड देकर कोशिश की जाएगी कि देश में क्रेडिट ग्रोथ में इजाफे के साथ-साथ नई नौकरियां पैदा करने का काम किया जाए. इस फंड के जरिए सरकारी बैंकों को अगले दो साल के अंदर 2.1 लाख करोड़ रुपये का कैपिटल एकत्र करना है. बैंकों के इस टार्गेट में 1.35 लाख करोड़ रुपये के रीकैपिटैलाइजेशन बॉन्ड भी शामिल हैं.

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केन्द्र सरकार द्वारा इस फंड का सबसे बड़ा फायदा इन बैंकों को मिलेगा. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ग्रॉस एनपीए(नॉन पर्फॉर्मिंग असेट) 9.8 फीसदी, यूनाइटेड बैंक एनपीए 12.4 फीसदी, यूको बैंक एनपीए 19.7 फीसदी, देना बैंक एनपीए 17.2 फीसदी, इत्यादि. इस नए फंड के जरिए घाटे में चल रहे बैंकों को मदद पहुंचाना सरकार के लिए मजबूरी बन गई है क्योंकि जहां मार्च 2015 में इन बैंकों का एनपीए 2.75 लाख करोड़ रुपये था जो जून 2017 तक बढ़कर 7.33 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है.

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