अमेरिका के न्यूजर्सी की इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट कंपनी लुई बर्जर ने कथित तौर पर गोवा में एक जल विकास परियोजना का ठेका हासिल करने के लिए एक मंत्री सहित कुछ अज्ञात अधिकारियों को करीब 10 लाख डॉलर की रिश्वत दी थी.
क्या है पूरा मामला?
अमेरिकी न्याय विभाग ने हालांकि भारतीय अधिकारियों के नामों का खुलासा नहीं किया है, लेकिन गत सप्ताह कंपनी ने भारत, इंडोनेशिया, वियतनाम तथा कुवैत में अधिकारियों को रिश्वत देने के आरोप को निपटाने के लिए 1.71 करोड़ रुपये जुर्माना देना स्वीकार कर लिया है.
कुबूला गुनाह अब होगी सजा
इस मामले में कंपनी के दो पूर्व अधिकारियों ने भी फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेस एक्ट (एफसीपीए) के तहत षड़यंत्र करने और अन्य आरोपों में गुनाह स्वीकार कर लिया है. इनमें से एक दुबई के 59 वर्षीय जेम्स मैक्कलंग कंपनी में वरिष्ठ उपाध्यक्ष रह चुके हैं और वे भारत में कंपनी के कारोबार के लिए जिम्मेदार थे. पांच नवंबर को होने वाली सुनवाई में दोनों अधिकारियों की सजा तय होगी.
न्याय विभाग के मुताबिक, लुई बर्जर ने आखिरकर अपराध स्वीकार कर लिया है, जिसमें एफसीपीए के रिश्वत विरोधी प्रावधान का उल्लंघन करने का षड़यंत्र भी शामिल है.
आरोप के मुताबिक, 30 दिसंबर, 2009 को या उसके आसपास कंसोर्टियम साझेदार ने कंपनी के एक एजेंट को एक मेल भेजा, जिसमें कहा गया था, "मैं गोवा परियोजना के लिए विभिन्न कंपनियों की हिस्सेदारी से संबंधित ब्योरा भेज रहा हूं. कृपया उसके अनुरूप ही काम करें और हम इस विषय पर बात कर सकते हैं. प्लीज 'मास्टर' पत्र देखें."
हां भारत में घूस दी?
शिकायत में आगे कहा गया है, "26 अगस्त, 2010 या उसके आसपास कंसोर्टियम की एक साझेदार कंपनी ने भुगतान का ब्यौरा तैयार किया और कहा कि कंपनी ने अब तक गोवा की परियोजना में रिश्वत के रूप में 9,76,630 डॉलर का भुगतान किया है."
कंपनी के एक मेल में एक जगह लिखा गया है, "एजेंट की ओर से मंत्री को भुगतान कर दिया गया."
इनपुट : आईएएनएस