चीन में सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था और डिमांड से अधिक फैक्ट्री उत्पादन की समस्या को देखते हुए सरकार ने अपने ‘मेड इन चीन’ कार्यक्रम को मजबूत करने के लिए 10 साल के नए अपग्रेड प्लान का उद्घाघाटन किया है. इस अपग्रेड प्लान के तहत तीन के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को ग्लोबल डिमांड के आधार पर इनोवेशन करते हुए क्षमता को बढ़ाना है.
‘मेड इन चीन 2025’ कार्यक्रम का ऐलान प्रीमियर ली केकियांग ने मंगलवार को किया. यह देश का पहला प्लान है जिसके माध्यम से देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को विश्व की फैक्ट्री के रूप में विकसित करना है. इस प्लान के तहत चीन को मैन्युफैक्चरिंग सुपर पावर बनाने के लिए 2049 तक का लक्ष्य रखा गया है.
चीन के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के सामने बड़ी चुनौतियां:
1. बढ़ती लेबर कॉस्ट के साथ-साथ जमीन की कीमतों में हो रहा है इजाफा
2. मुद्रा बाजार में बढ़ रही है युआन की कीमत
3. सस्ते प्रोडक्ट बनाने में मिल रही उभरते बाजारों से कड़ी चुनौती
4. इंडस्ट्रियल वैल्यू चेन के सुधार में विफल हो रही हैं कंपनियां
इस कार्यक्रम के तहत अगले 10 साल में चीन की मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में होगा यह अहम सुधार:
1. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को इनोवेशन पर देना होगा जोर
2. रिसर्च और डेवलपमेंट पर बढा़ना होगा खर्च
3. वैश्विक स्तर पर लेना होगा ज्यादा पेटेंट
4. एडवांस्ड स्पेसशिप, हवाई जहाज और शिपिंग वेसेल को विकसित किया जाएगा
5. प्रोडक्ट क्वालिटी को पहली प्राथमिकता देते हुए बनाना होगा सस्ता सामान
6. क्लाइमेट फ्रेडली मैन्यूफैक्चरिंग को देना होगा बढ़ावा
7. मैन्यूफैक्चरिंग का अंतरराष्ट्रीयकरण करना होगा
8. घरेलू ब्रांड को देना होगा बढ़ावा
गौरतलब है कि चीन का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर विश्व का लगभग 20 फीसदी उत्पादन करता है. दुनियाभर में 500 इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट की श्रेणी में 220 प्रोडक्ट में चीन सबसे आगे है. इसके अलावा फॉर्च्यून 500 कंपनियों की लिस्ट (2014) में चीन की 56 कंपनियां शामिल हैं. लिहाजा, इस नए कार्यक्रम के जरिए चीन की कंपनियों की प्राथमिकता अधिक उत्पादन से हटकर उत्कृष्ट उत्पादन करने की होगी.