केन्द्र सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को जून 2016 में मंजूरी देते हुए 2017 में 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों के लिए कमर कस ली थी. केन्द्र सरकार की मंजूरी के बाद एक-एक कर चुनाव वाले सभी राज्यों ने भी अपने कर्मचारियों के लिए इस वेतन आयोग की सिफारिशों को मंजूरी दी और चुनावी बिगुल बजा दिया. अब मध्यप्रदेश सरकार ने भी 2018 विधानसभा चुनावों से पहले अपने अहम बजट के जरिए राज्य सरकार के कर्मचारियों को भी 7वें वेतन आयोग का फायदा देने का ऐलान कर दिया है.
मध्यप्रदेश सरकार ने अपने कर्मचारियों को 1 जुलाई 2016 से सैलरी और भत्तें में इजाफा देने का ऐलान किया है. हालांकि चुनाव से पहले राज्य सरकार को एक और वार्षिक बजट पेश करना है लेकिन वह कर्मचारियों के लाभ को अगले साल तक नहीं टाल सकी. ऐसा इसलिए कि मौजूदा बजट में घोषणा करने से उसे 1 जुलाई 2016 से अभी तक का एरियर मौजूदा वित्त वर्ष में ही वहन करना पड़ेगा. वहीं इसे टालने पर कर्मचारियों के भुगतान के लिए दबाव अगले वित्त वर्ष पर पड़ता जिसके चलते वेतन आयोग का फायदा 1 जुलाई 2016 की बजाए 2017 के वित्त वर्ष की तारीख से ही दिया जाता.
राज्य सरकार द्वारा नए वेतनमान को मिली मंजूरी के बाद सबसे निचले स्तर पर कर्मचारियों 2,520 रुपये का फायदा होगा. मौजूदा सैलरी पर यह लगभग 15 फीसदी अधिक है. मौजूदा समय में निचले वेतनमान में कर्मचारियों को 16,797 रुपये मिलता था जो अब बढ़कर 19,317 रुपये हो जाएगा.
मौजूदा कर्मचारियों के साथ-साथ राज्य सरकार ने पेंशनभोगी कर्मचारियों को भी इसका फायदा पहुंचाया है. हालांकि केन्द्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी भत्ते पर अभी कोई फैसला नहीं ले पाई है. इसके लिए उसे 5 राज्यों में चुनाव प्रक्रिया खत्म होने और केन्द्र सरकार द्वारा भत्ते पर फैसले का इंतजार है.
गौरतलब है कि राज्य सरकार के 4.50 लाख कर्मचारियों को इस फैसले से सीधा फायदा पहुंचेगा. वेतन आयोग की सिफारिशों से बढ़ी सैलरी से राज्य सरकार के खजाने पर 4 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार आएगा.