महाराष्ट्र के चंद्रपुरा जिले के एक गांव के किसानों ने थोड़ी राहत की सांस ली है, क्योंकि सरकारी कोयला खनन कम्पनी ने गांव में अधिग्रहीत की गई भूमि के लिए मुआवजा राशि बढ़ा दी है.
गांव के स्थानीय सांसद हंसराज अहीर भी इससे काफी खुश हैं, क्योंकि इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की थी.
गांव के किसानों को अब प्रति एकड़ आठ से 10 लाख रुपये की दर से मुआवजा मिलेगा. सरकारी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की सहायक कम्पनी, वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल) ने पहले प्रति एकड़ 20 हजार रुपये से 45 हजार रुपये की दर से मुआवजा देने की पेशकश की थी.
कम्पनी ने कोयले की खदान परियोजना के लिए गांव में 1,700 एकड़ भूमि के अधिग्रहण का फैसला किया है. महाराष्ट्र के मंत्रिमंडल ने पिछले साल कोयले की खदान के लिए अधिग्रहीत की जाने वाली भूमि के लिए पड़ोसी छत्तीसगढ़ के बराबर दर करने का फैसला किया था.
अहीर ने कहा, 'पूरी प्रक्रिया में हालांकि तय समय से काफी लम्बा वक्त लग रहा था, इसलिए मैंने किसानों को उनका हक दिलाने के लिए हस्तक्षेप किया. अब उन्हें महाराष्ट्र सरकार से मंजूर की गई राशि के मुताबिक मुआवजा मिलेगा.'
अहीर चंद्रपुरा जिले से भारतीय जनता पार्टी के सांसद हैं. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने 2010 में एक अधिसूचना जारी कर कोल इंडिया लिमिटेड और राज्य में काम करने वाली उसकी सहायक कम्पनियों के लिए आवश्यक बना दिया था कि मुआवजे की दर प्रति एकड़ परती भूमि के लिए छह लाख रुपये, वर्षा सिंचित भूमि के लिए आठ लाख रुपये और सिंचाई सुविधा वाली भूमि के लिए 10 लाख रुपये होगी. उन्होंने कहा, 'महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में ऐसा नहीं हुआ. हमने मांग की थी कि डब्ल्यूसीएल छत्तीसगढ़ की तर्ज पर मुआवजा दे.'
अहीर ने कहा कि वह और उनकी पार्टी पिछले एक दशक से समुचित मुआवजा योजना के लए संघर्ष कर रही है. लम्बे संघर्ष के बाद डब्ल्यूसीएल ने मांग मान ली, और अब पूरे गांव को कुल मिलाकर 125 करोड़ रुपये का मुआवजा मिलेगा. अहीर ने कहा, 'औसत तौर पर प्रत्येक किसान को 8,33,000 रुपये का मुआवजा मिलेगा.'