ज्यादातर राज्यों ने 11वीं पंचवर्षीय योजना (2007-12) के दौरान अखिल भारतीय सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर से बेहतर प्रदर्शन किया. उद्योग मंडल एसोचैम के अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है.
एसोचैम ने ‘राज्यों के वित्त के आकलन’ पर आधारित अध्ययन रिपोर्ट वित्त मंत्रालय तथा योजना आयोग को सौंपी है. अध्ययन में कहा गया है कि कई ऐसे राज्य जिन्हें बीमारू श्रेणी में रखा जाता है, वे भी अब आगे निकल रहे हैं. महाराष्ट्र, गुजरात और हरियाणा जैसे अग्रणी राज्यों ने निरंतर आधार पर 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर हासिल की, वहीं अध्ययन में कहा गया है कि पीछे रहने वाले राज्यों बिहार, मध्य प्रदेश तथा राजस्थान के प्रदर्शन में भी सुधार हुआ है.
एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा, ‘उभरते राज्यों में राजनीतिक दलों में मतभेदों के बावजूद निवेश को लेकर उदार रुख देखने को मिला.’ देश ने 11वीं योजना में 7.9 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर हासिल की है. हालांकि, इस अवधि में दो वैश्विक संकट आए हैं. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि पूर्व में धीमी गति से आगे बढ़ने वाले राज्यों ने बेहतर प्रदर्शन किया है.
उन्होंने कहा, ‘पांच गरीबतम राज्यों की औसत वृद्धि दर पहली बार किसी योजनावधि में राष्ट्रीय औसत से अधिक रही है. मुझे लगता है कि हम एक ऐसे चरण में पहुंच रहे हैं जब बीमारू राज्य शब्द इतिहास बन जाएगा.’ सबसे पहले बीमारू शब्द 1980 की शुरुआत में आया. उस समय बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश का वर्गीकरण ऐसे राज्यों में किया गया. अध्ययन में कहा गया है कि बेहतर भौगोलिक स्थिति तथा प्राकृतिक संसाधनों के बावजूद कमतर प्रदर्शन करने वाले पश्चिम बंगाल और आंध प्रदेश जैसे राज्यों को अपनी खामियों को खोजना होगा.