किंगफिशर के चीफ और यूनाइटेड स्पिरिट्स के चेयरमैन विजय माल्या की कुर्सी खतरे में पड़ गई है. उन पर बैंकों के हजारों करोड़ रुपये न चुकाने का मामला चल रहा है और अगर कलकत्ता हाईकोर्ट ने माल्या को विलफुल डिफॉल्टर (जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाला) घोषित कर दिया तो उनसे यह पद छिन जाएगा. एक आर्थिक पत्र ने यह खबर दी है.
58 वर्षीय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस घाटे में चलने के बाद बंद हो गई और बैंकों से लिए गए हजारों करोड़ रुपये के कर्ज का मामला अब अदालतों में चल रहा है. माल्या ने अपनी कंपनी यूनाइटेड स्पिरिट्स की ज्यादातर हिस्सेदारी ब्रिटिश कंपनी डिएगो को बेच दी थी और सिर्फ 5.2 प्रतिशत हिस्सा अपने पास रखा. इसके बूते ही वह कंपनी के चेयरमैन बने हुए हैं. उन्हें इस पद पर बने रहने के लिए इस कंपनी में कम से कम एक प्रतिशत हिस्सा रखना पड़ेगा.
कोलकाता स्थित यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया ने माल्या को विलफुल डिफॉल्टर पहले ही घोषित कर दिया है. माल्या इसके खिलाफ अदालत में चले गए हैं. अगले हफ्ते अदालत इस पर फैसला दे सकती है. तीन अन्य बैंक भी ऐसा ही कदम उठाने की सोच रहे हैं. कानूनन कोई भी व्यक्ति किसी भी अदालत से विलफुल डिफॉल्टर घोषित हो जाता है तो उसे डायरेक्टर या ऐसा कोई भी पद छोड़ना पड़ता है.