वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में कई सरकारी बैंकों का दूसरे सरकारी बैंकों में विलय करने का ऐलान किया था. जिस पर अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सवाल उठाए हैं. इसको लेकर ममता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा है.
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने शुक्रवार को पीएम मोदी को पत्र लिखकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय के लिए केंद्र सरकार की ओर से उठाए गए कदमों का विरोध किया. बनर्जी ने आरोप लगाया कि कोलकाता स्थित मुख्यालय वाले दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय कर केंद्र सरकार के एकतरफा फैसला से राज्य के विकास की गति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
बैंकिंग क्षेत्र में कोलकाता के समृद्ध इतिहास का हवाला देते हुए बनर्जी ने याद दिलाया कि इलाहाबाद बैंक का गठन 1865 में हुआ था, जबकि यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया 1914 में बनाया गया था.
सरकार के इस कदम पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए बनर्जी ने अपने पत्र में लिखा, 'ऐसा प्रतीत होता है कि यह कदम मुख्य रूप से केंद्र सरकार के जरिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजीगत बोझ को कम करने के लिए किया गया.' उन्होंने लिखा, 'भारतीय स्टेट बैंक और संबंधित बैंकों के पिछले विलय के बारे में हमारा अनुभव बताता है कि ऋण की खराब समस्या वास्तव में और खराब हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप प्रोफिट कम हो रहा है और ऋण बढ़ता जा रहा है.'
बनर्जी ने दावा किया कि ग्रामीण बंगाल का एक बड़ा हिस्सा अभी भी बैंकिंग से बाहर है और इसलिए इस तरह का एक बड़ा फैसला राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए संकट पैदा करेगा. खासकर एमएसएमई क्षेत्र और स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) प्रभावित होंगे.
यूबीआई और इलाहाबाद बैंक के दस हजार से अधिक कर्मचारियों के भाग्य के बारे में आशंका व्यक्त करते हुए बनर्जी ने लिखा कि उन्हें डर है कि उनमें से कई वीआरएस लेने के लिए मजबूर होंगे.
किन बैंकों का हुआ विलय
पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के साथ ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (OBC) और यूनाइटेड बैंक का विलय होगा. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का विलय होगा. वहीं इंडियन बैंक और इलाहाबाद बैंक का विलय होगा. इसके अलावा केनरा बैंक का सिंडिकेट बैंक के साथ मर्जर होगा.