मंथन आजतक 2017 के सातवें सत्र 'महाराष्ट्र सरकार के 3 साल' में शिवसेना सांसद अरविंद सावंत, कांग्रेस सांसद हुसैन दलवई और मुबई बीजेपी अध्यक्ष आशीष सेलार ने शिरकत की. इस सत्र का संचालन साहिल जोशी ने किया.
नोटबंदी और राजनीति
नोटबंदी से आम लोग पर हुए नुकसान पर आशीष सेलार ने कहा कि हम इस बात को स्वीकार करते हैं कि नोटबंदी से थोड़ी तकलीफ हुई, लेकिन लोगों ने इसे स्वीकार किया. जनता ने तकलीफ स्वीकार करते हुए काले धन के खिलाफ लड़ाई में सरकार का सहयोग किया.
बीजेपी के इतर कांग्रेस और शिवसेना के सांसदों ने नोटबंदी के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि काला धन खत्म करने की बात थी, कितना काला धन खत्म हुआ. सारा पैसा सिस्टम में वापस आ गया. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा था कि फैसले को लागू करने के लिए गलत रास्ता चुना गया.
नोटबंदी से महाराष्ट्र को क्या नुकसान?
नोटबंदी के बाद राज्य में छोटे और मध्यम कारोबार को क्या नुकसान हुआ औऱ राज्य में कितने लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी? इस सवाल के जवाब में बीजेपी नेता आशीष सेलार ने कहा कि नोटबंदी के बाद भी राज्य सरकार और केन्द्र सरकार की मदद से देश में कई युवाओं को राजगार शुरू करने के लिए बड़ी मदद दी गई है. वहीं अरविंद सावंत ने कहा कि नोटबंदी के बाद बड़ी संख्या में लोगों को बेरोजगार कर दिया गया. वहीं सावंत ने कहा कि नोटबंदी की प्रक्रिया में मारे गए 100 लोगों की बात सरकार ने किसी ने नहीं की.
नोटबंदी से महाराष्ट्र परेशान फिर क्यों बीजेपी को मिला वोट?
नोटबंदी के फैसले के बाद राज्य में हुए छोटे-बड़े चुनावों में बीजेपी को बड़ी जीत हासिल हुई है. यदि प्रदेश के लोग नोटबंदी से परेशान होते तो कैसे बीजेपी के खाते में यह सीटें जाती. वही कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने कहा कि नोटबंदी के असर को छोड़े भी तो राज्य में एक-एक कर सभी क्षेत्रों में सरकार नाकामयाब हुई है. वहीं शिवसेना नेता सावंत ने कहा कि हम भले एक साथ मिलकर चुनाव लड़े और प्रदेश की जनता के हित में मिलकर सरकार चला रहे हैं, लेकिन इसका मतलब नहीं कि हम सरकार के फैसलों का विरोध नहीं करते. शिवसेना हर उस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ रहती है जिसका नुकसान राज्य में आम आदमी को होता है. हालांकि नोटबंदी का राज्य पर पड़ने वाले असर पर किसी नेता ने कोई खास बयान नहीं दिया.