नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर जारी देश भर में प्रदर्शन के बीच माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने सोमवार को एक कार्यक्रम में कहा कि मुझे लगता है कि जो हो रहा है वह दुखद है...यह बुरा है....मैं एक ऐसे बांग्लादेशी अप्रवासी को देखना पसंद करूंगा जो भारत में आता है और इंफोसिस का अगला सीईओ बनता है. वेबसाइट BuzzfeedNews के एडिटर-इन-चीफ बेन स्मिथ ने ट्विटर पर लिखा कि भारत में जन्मे नडेला ने एक सवाल में जवाब ये बातें कही.
माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ ने ये बातें मैनहट्टन में कंपनी के ही एक कार्यक्रम में कही. उन्होंने ये बातें ऐसी समय कही है जब विपक्ष समेत कई सेलिब्रिटी सीएए को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर हैं. वहीं, जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी और जामिया मिलिया जैसी यूनिवर्सिटी के छात्र एक महीने से भी ज्यादा समय से इस कानून के खिलाफ हल्ला बोले हुए हैं.
इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने भी सत्य नडेला के इस बयान का स्वागत किया है. एक ट्वीट के जरिए रामचंद्र गुहा ने कहा कि मैं खुश हूं कि सत्य नडेला ने वो कहा जो वो महसूस करते थे. यह बुद्धिमत्तापूर्ण बात है.
इतिहासकार रामचंद्र गुहा पहले भी नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ केंद्र सरकार पर हमलावर रहे हैं. रामचंद्र गुहा ने सीएए को भारत के संविधान के खिलाफ बताया है. रामचंद्र गुहा ने यह भी कहा है कि आईटी इंडस्ट्री के अन्य लोग भी यह कहने का साहस दिखाएं.देश में नागरिकता कानून अब है लागूAsked Microsoft CEO @satyanadella about India's new Citizenship Act. "I think what is happening is sad... It's just bad.... I would love to see a Bangladeshi immigrant who comes to India and creates the next unicorn in India or becomes the next CEO of Infosys" cc @PranavDixit
— Ben Smith (@BuzzFeedBen) January 13, 2020
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) 2019, अब 10 जनवरी से ही पूरे देश में लागू हो गया है. केंद्र सरकार ने इसे लेकर नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है. देश में कई जगहों पर नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन देखने को मिला है. नागरिकता कानून पर देश के कई इलाकों में हिंसा भी देखने को मिली है. सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) 2019 का नोटिफिकेशन जारी किया था. इसके साथ ही 10 जनवरी 2020 से ही नागरिकता संशोधन कानून पूरे देश में लागू हो चुका है.
क्या है नागरिकता संशोधन कानून?
नागरिकता अधिनियम, 1955 में केंद्र सरकार ने बदलाव किया है. पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से आए हुए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिलने में आसानी होगी. अभी तक उन्हें अवैध शरणार्थी माना जाता था. इस कानून का लाभ अब शरणार्थियों को मिल सकेगा.