मुद्रास्फीति एक साल पहले के मुकाबले बेशक नीचे बनी हुई है लेकिन आम मध्यवर्ग के उपभोग की वस्तुओं और सेवाओं की महंगाई उसकी जेब पर अभी भी भारी पड़ रही है. दाल, तैयार खाना, जलपान, कपड़े के साथ-साथ शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का खर्च उसकी पहुंच से बाहर हो रहा है.
उद्योग मंडल एसोचैम के एक विश्लेषण में यह निष्कर्ष निकला है. एसोचैम विश्लेषण के मुताबिक दालों के मामले में खुदरा मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 30 प्रतिशत के आसपास पहुंच गई है. कुछ दालों के दाम 200 रुपये किलो पर बोले जा रहे हैं, जबकि कढ़ी बनाने में काम आने वाले कुछ मसालों के दाम 9.2 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं.
अंतरराष्ट्रीय बाजार के साथ साथ घरेलू बाजार में भी ईंधन के दाम में गिरावट आने और वेतन में हल्की वृद्धि के बावजूद शिक्षा और स्वास्थ्य सेवायें काफी महंगी हुई हैं. मध्यमवर्ग के लिए ये दोनों क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण हैं. इन सेवाओं का मूल्य खुदरा मूल्य सूचकांक से जुड़ी मुद्रास्फीति के मुकाबले काफी बढ़ा है.
सितंबर 2015 में सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति 4.41 प्रतिशत रही है जो कि एक साल पहले सितंबर में 6.46 प्रतिशत पर थी. हालांकि, थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति सितंबर में शून्य से 4.54 प्रतिशत नीचे रही. इससे पिछले महीने यह शून्य से 4.95 प्रतिशत नीचे थी.
एसोचैम विश्लेषण के मुताबिक शिक्षा के मामले में सीपीआई मुद्रास्फीति सितंबर में 6 प्रतिशत और स्वास्थ्य क्षेत्र में 5.4 प्रतिशत रही. इसमें कहा गया है, सार्वजनिक क्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी तंगी के चलते मध्यवर्ग के लोगों को निजी विद्यालयों, कॉलेजों और अस्पतालों पर निर्भर होना पड़ता है जिनकी लागत काफी उंची है.
इनपुट: भाषा