डीजल से चलने वाले इंजन वाली रेल गाड़ियों की जगह भारतीय रेलवे जल्द ही तेज रफ्तार से चलने वाली इलैक्ट्रॉनिक ट्रेनों को पटरियों पर उतारने जा रही है.
रफ्तार बढ़ाना है उद्देश्य
रेलवे ने इसके लिए पहल शुरू कर दी है और छोटे रूटों पर डीजल इंजनों की जगह इलैक्ट्रिक एमईएमयू ट्रेन उतारनी शुरू कर दी हैं. इसका उद्देश्य ट्रेनों की रफ्तार 25 किलोमीटर प्रति घंटा बढ़ाने और डीजल से फैल रहे प्रदूषण को कम करना है. रेलवे के अधिकारियों ने कहा कि इलैक्ट्रिक इंजन का इस्तेमाल करने से ईंधन पर होने वाले खर्च पर कटौती होगी क्योंकि बिजली सस्ती पड़ती है.
मिशन रफ्तार
ये पहल 'मिशन रफ्तार' का हिस्सा है, जिसका ऐलान रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने इस साल रेल बजट में किया था. इस मिशन के तहत अगले 5 साल में माल गाड़ियों की औसत रफ्तार को दोगुना करना और नॉन-सबअर्बन ट्रेनों की रफ्तार 25 किलोमीटर प्रतिघंटा करना है. फिलहाल नॉन-सबअर्बन ट्रेनों की औसत रफ्तार 46.3 किलोमीटर प्रति घंटा जबकि माल गाड़ियों की रफ्तार 24.2 किलोमीटर प्रति घंटा है.