मोदी सरकार को महंगाई के मोर्चे पर बड़ी राहत मिली है. दरअसल, थोक आधारित महंगाई दर जून में घटकर 2.02 फीसदी पर आ गई है. वहीं मई महीने में थोक महंगाई दर 2.45 फीसदी रही थी.
इस लिहाज से सिर्फ एक महीने में महंगाई दर के आंकड़ों में 0.43 फीसदी की गिरावट आई है. जून का यह आंकड़ा पिछले 23 महीनों का निचला स्तर है. इससे पहले जुलाई, 2017 में महंगाई दर 1.88 फीसदी पर थी. वहीं एक साल पहले से तुलना करें तो जून 2018 में थोक महंगाई दर का आंकड़ा 5.68 फीसदी पर रहा था.
नए आंकड़ों के मुताबिक सब्जियों, ईंधन और बिजली से जुड़े सामानों की कीमतों में कमी के कारण थोक महंगाई दर में लगातार दूसरे महीने गिरावट आई है. खाद्य वस्तुओं की थोक महंगाई दर मामूली कमी के साथ जून में 6.98 फीसदी के स्तर पर रही, जो मई में 6.99 फीसदी पर थी. सब्जियों की महंगाई दर पिछले महीने घटकर 24.76 फीसदी पर रही, जो मई में 33.15 फीसदी पर थी.
इसी तरह अगर आलू के थोक मूल्य की बात करें तो जून में 24.27 फीसदी घटे, जबकि मई में आलू की महंगाई दर शून्य से 23.36 फीसदी नीचे रही थी. हालांकि, प्याज की कीमतों में इजाफा जारी है और जून में इसकी महंगाई दर 16.63 फीसदी के स्तर पर रही. मई में प्याज की मुद्रास्फीति 15.89 फीसदी पर रही थी.
The annual rate of inflation, based on monthly Wholesale Price Index, stood at 2.02% (provisional) for the month of June, 2019 (over June, 2018) as compared to 2.45% (provisional) for the previous month & 5.68% during the corresponding month of the previous year. https://t.co/sq2R6b8tSB
— ANI (@ANI) July 15, 2019
आपको क्या होगा फायदा
महंगाई के मोर्चे पर राहत ऐसे समय में मिली है जब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया लगातार रेपो रेट कटौती कर रहा है. दरअसल, रेपो रेट वो दर होती है जिसके आधार पर आरबीआई बैंकों को फंड मुहैया कराता है. रेपो रेट के बदलाव काफी हद तक महंगाई दर के आंकड़ों पर निर्भर करते हैं. रेपो रेट कटौती का मतलब यह हुआ कि बैंकों को सस्ती रेपो रेट पर फंड मिलेगा. इसका फायदा बैंकों को ब्याज दर में कटौती कर ग्राहकों तक पहुंचाना होगा.