लंबे समय से रिटायर्ड अर्धसैनिक बल पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग कर रहे हैं. ये अर्धसैनिक बल अब अपनी मांग को मनवाने के लिए आगामी 3 मार्च को दिल्ली के जंतर-मंतर पर जुट रहे हैं.देश के अलग-अलग हिस्सों से आ रहे इन रिटायर्ड जवानों की मांग है कि सरकार वर्तमान पेंशन स्कीम NPS को हटाकर पुरानी पेंशन योजना लागू करे.लेकिन सवाल है कि आखिर क्यों नई पेंशन योजना खत्म करने की मांग हो रही है. इस योजना से अर्धसैनिक बलों की जेब को कितना झटका लगता है. आज हम इस रिपोर्ट में इसकी जानकारी देंगे.
पुरानी पेंशन योजना और NPS का अंतर
अगर पुरानी पेंशन योजना की बात करें तो इसके तहत सेना और अर्धसैनिक बलों को एक तरह की पेंशन मिलती थी. पुरानी स्कीम में पेंशन का निर्धारण सरकारी कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और महंगाई दर के आंकड़ों के अनुसार होता है. लेकिन साल 2004 से लागू हुई नई पेंशन स्कीम ( NPS) का निर्धारण कुल जमा राशि और निवेश पर आए रिटर्न के अनुसार होता है. हालांकि NPS के तहत कुछ ऐसी सुविधाएं मिल रही हैं जो पुरानी स्कीम में नहीं थी. मसलन, NPS में सरकार का योगदान कर्मचारियों की बेसिक सैलरी का 14 फीसदी होगा. वहीं इस स्कीम के तहत जमा होने वाली राशि पर टैक्स छूट को इनकम टैक्स की धारा 80C के दायरे में लाया गया है. यह सुविधा पुरानी पेंशन स्कीम में नहीं थी.
पुरानी स्कीम मांग की वजह
दरअसल, अर्धसैनिक बल पुरानी पेंशन स्कीम बहाली की मांग मुख्यतौर पर इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इसमें कर्मचारियों का कोई कंट्रीब्यूशन नहीं है और तय पेंशन की गारंटी भी है. जबकि नई पेंशन स्कीम में रिटर्न स्थानी नहीं होता है. मतलब यह है नई स्कीम में रिटर्न अच्छा नहीं मिलने पर पेंशन पाने वाले लोगों को नुकसान भी हो सकता है. जबकि अच्छा रिटर्न रहा तो प्रॉविडेंट फंड और पेंशन की पुरानी स्कीम की तुलना में नए कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय भविष्य में अच्छी धनराशि भी मिल सकती है. लेकिन रिटायर्ड अर्धसैनिक बल रिस्क गेम से बचना चाहते हैं.
बता दें कि सरकार ने जनवरी 2004 में सरकारी कर्मचारियों के लिए नेशनल पेंशन स्कीम लॉन्च की थी. इसके आने के बाद से जितने भी सरकारी कर्मचारियों की नियुक्ति हुई, वे पुरानी पेंशन स्कीम की बजाय एनपीएस के तहत आने लगे.
कैसे होता है NPS का इस्तेमाल
NPS के तहत कोई भी सरकारी कर्मचारी अपने कार्यकाल के दौरान एक पेंशन अकाउंट में निवेश कर सकता है. वहीं रिटायर होने पर खाताधारक अपनी एक मुश्त रकम में से 75 फीसदी हिस्सा निकाल सकता है. वहीं बाकी धनराशि से कोई वार्षिक प्लान खरीद सकता है जिसमें महीने की नियमित आय की व्यवस्था हो सके.