केंद्र सरकार ने मंगलवार को 15 प्रमुख क्षेत्रों में एफडीआई नियमों में ढील की घोषणा कर दी है. इसके तहत एफआईपीबी की मंजूरी की सीमा 3,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5,000 करोड़ रुपये की गई है, वहीं रीजनल एयर सर्विस में विदेशी निवेश की सीमा को 49 फीसदी तक कर दिया गया है.
एफडीआई को लेकर सरकार की यह घोषणा ऐसे समय हुई है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिटेन और तुर्की की यात्रा पर रवाना होने वाले हैं. वह वहां जी-20 की बैठक में हिस्सा लेंगे और अंतरराष्ट्रीय नेताओं से मुलाकात करेंगे. सरकार ऐसा कर यह संदेश देना चाहती है कि बिहार चुनाव में एनडीए की शिकस्त के बाद सरकार हतोत्साहित नहीं हुई है और उसका ध्यान व्यापार पर केंद्रित है.
सरकार ने डिफेंस, ब्रॉडकास्टिंग, प्राइवेट बैंकिंग, एग्रीकल्चर, प्लांटेशन, माइनिंग, सिविल एविएशन, कंस्ट्रक्शन डवलपमेंट, सिंगल ब्रांड रिटेल, कैश एंड कैरी होलसेल और मैन्युफैक्चरिंग समेत 15 सेक्टरों में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाई है. सरकार ने ड्यूटी फ्री शॉपिंग पर एफडीआई के नियमों में भी ढील दी है. इसके साथ ही कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 5 साल के भीतर एफडीआई लाने की शर्त को हटा लिया गया है. अब इस क्षेत्र में पांच साल बाद भी एफडीआई लाना मुमकिन होगा.
एनआरआई निवेश पर भी ध्यान
सरकार ने एनआरआई निवेश में भी एफडीआई नियम आसान कर दिए हैं. डिफेंस सेक्टर में ऑटोमैटिक रूट के जरिए 49 फीसदी के एफडीआई निवेश की छूट का ऐलान किया गया है. ब्रॉडकास्टिंग सेक्टर के तहत गैर-खबरिया चैनल में ऑटोमैटिक रूट के जरिए 100 फीसदी एफडीआई निवेश की छूट का ऐलान किया गया है, वहीं ब्रॉडकास्ट सेक्टर में एफआईपीबी के जरिए 49 फीसदी एफडीआई निवेशक की छूट का ऐलान किया गया है. रबर और कॉफी सेक्टर में 100 फीसदी एफडीआई निवेश की छूट का ऐलान हुआ है, वहीं सभी एफडीआई नियमों की एक किताब भी बनेगी.
अभी तक नहीं मिली है अपेक्षित सफलता
सूत्रों का कहना है कि सरकार इस ओर घोषणा करने के लिए बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों का इंतजार कर रही थी. सत्ता में आने के साथ ही नरेंद्र मोदी की सरकार ने रक्षा, रेलवे और दूसरे अन्य क्षेत्रों में एफडीआई को मंजूरी दी, लेकिन इस ओर अभी तक बहुत अधिक सफलता या यह कहें कि वह निवेश को आकर्षित करने में अपेक्षित सफलता हासिल नहीं कर पाई है.
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नियम एवं शर्तें और निवेशक
समझा जा रहा है कि देश में एफडीआई को लेकर नियमों की जटिलता निवेशकों के लिए परेशानी का सबब बन रही है. ऐसे में सरकार की पहली कोशिश नियमों और शर्तों को आसान बनाने की है, ताकि निवेशक इस ओर सहूलियत महसूस कर सकें.
एफडीआई के आठ प्रस्तावों को मंजूरी
दूसरी ओर, शुक्रवार को एफआईपीबी ने 5,200 करोड़ रुपये के एफडीआई प्रस्तावों को मंजूरी दी है. इनमें इंडिया एडवांटेज फंड और एलएंडटी फिनांस होल्डिंग्स का प्रस्ताव शामिल है. आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास की अगुवाई वाले विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड ने पांच प्रस्तावों को खारिज किया, जबकि चार पर फैसला टाल दिया. वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि इंडिया एडवांटेज फंड का प्रस्ताव 2,950 करोड़ रुपये, जबकि एलएंडटी फिनांस होल्डिंग का प्रस्ताव 700 करोड़ रुपये एफडीआई का है. पैरागन पार्टनर्स ग्रोथ फंड के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है, वहीं बोर्ड ने शेयरखान और तीन अन्य निवेश आवेदनों पर फैसला टाल दिया.
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इन प्रस्तावों को भी मिली मंजूरी
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि सरकार ने 384 करोड़ रुपये मूल्य के चार एफडीआई प्रस्तावों को मंजूरी दी है. इसके मुताबिक, 'एफआईपीबी की 19 अक्टूबर 2015 को हुई बैठक में सिफारिशों के आधार पर सरकार ने 384.45 करोड़ रुपये मूल्य के चार एफडीआई प्रस्तावों को मंजूरी दी है.' ल्यूपिन का प्रस्ताव कंपनी के अनिवासी कर्मचारियों को 331.64 करोड़ रुपये के ईसोप देने के संबंध में है, वहीं बीएफ एलबिट एडवांस्ड सिस्टम्स का 37.8 करोड़ रुपये का प्रस्ताव विदेशी हिस्सेदारी 26 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी करने के लिए है.
फायरफ्लाई नेटवर्क्स का प्रस्ताव टला
इनके अलावा एफआईपीबी की बैठक में यूकेयर फार्मा और हैनन सिस्टम्स के प्रस्तावों को भी मंजूरी प्रदान की गई. हालांकि बोर्ड ने दूरसंचार क्षेत्र की फर्म फायरफ्लाई नेटवर्क्स के प्रस्ताव सहित पांच एफडीआई प्रस्तावों पर निर्णय टाल दिया. एफआईपीबी ने रिलायंस ग्लोबलकॉम, बेयरफुट रिजार्ट्स और लेजर इंडिया व फ्रैंकलिन टेंपलटन असेट मैनेजमेंट के प्रस्तावों को खारिज कर दिया.