बीते साल यानी 2019 में 5 जुलाई को पेश किए गए बजट में केंद्र की मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 में विनिवेश से 1.05 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था. हालांकि, इस साल 1 फरवरी को बजट पेश करते हुए सरकार ने विनिवेश लक्ष्य को संशोधित कर दिया. इस संशोधन के बाद सरकार का लक्ष्य घटकर 65,000 करोड़ रुपये पर आ गया.
मतलब ये कि सरकार को 31 मार्च को खत्म हुए वित्त वर्ष में विनिवेश के जरिए ये लक्ष्य हासिल करना था. लेकिन सरकार इस लक्ष्य को भी हासिल नहीं कर सकी है. जी हां, सरकार संशोधित लक्ष्य से 14,700 करोड़ रुपये पीछे रह गई. उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक 2019-20 में सरकार ने विनिवेश के जरिये सिर्फ 50,298.64 करोड़ रुपये जुटाए हैं.
दो साल बाद लक्ष्य हासिल करने में नाकाम
दो साल बाद ऐसा मौका आया है जब सरकार विनिवेश लक्ष्य हासिल नहीं कर सकी है. बता दें कि वित्त वर्ष 2017- 18 में विनिवेश से एक लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा था जिसके मुकाबले उसने एक लाख करोड़ रुपये से कुछ अधिक राशि हासिल की. इसी तरह, 2018- 19 में उसने 80 हजार करोड़ रुपये के बजट लक्ष्य के मुकाबले 84,972 करोड़ रुपये प्राप्त किये.
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नए वित्त वर्ष 2020- 21 के लिए सरकार ने विनिवेश से 2.10 लाख करोड़ रुपये जुटाने का बड़ा लक्ष्य रखा है. इस साल एयर इंडिया, बीपीसीएल का विनिवेश सरकार की सूची में शामिल है. इसके अलावा उसने एलआईसी के आईपीओ के जरिये भी राशि जुटाने की घोषणा की है.
कहां से पैसे जुटाए गए
बीते वित्त वर्ष के दौरान सरकार ने टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कापोर्रेशन लिमिटेड और नीपको में अपनी हिस्सेदारी का एनटीपीसी को रणनीतिक विनिवेश कर 11,500 करोड़ रुपये प्राप्त किये. इसके साथ ही कामाराजन पोर्ट की रणनीतिक बिक्री चेन्नई पोर्ट ट्रस्ट को 2,383 करोड़ रुपये में कर दी गई. सरकार ने इसके अलावा दो उपाक्रमों आरवीएनएल और आईआरसीटीसी के आईपीओ के जरिये 1,113 करोड़ रुपये की पूंजी जुटाई है. वहीं राइट्स में बिक्री पेशकश के जरिये सरकार को 1,130 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई.
मॉयल, एमडीएल और एसपीएमसीआईएल द्वारा शेयरों की वापस खरीद से सरकार को 821 करोड़ रुपये मिले. वहीं एसयूयूटीआई से 600 करोड़ रुपये की प्राप्ति सरकारी खजाने में हुई. शत्रु शेयरों की बिक्री करके भी सरकार ने 1,881 करोड़ रुपये जुटाये.