प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने तीन दिन की यात्रा पर बुधवार को रूस के शहर उफा पहुंच जाएंगे. इस दौरान उनकी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से अलग से मुलाकात हो सकती है.
भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते सहयोग के बीच प्रधानमंत्री मोदी का यह पहला रूस दौरा सामरिक और आर्थिक दोनों नजरिये से बेहद अहम है. याद रहे कि बीते साल अमेरिका रूस को पछाड़ भारत का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर बन चुका है.
तीसरी बार मिलेंगे BRICS नेताओं से
यह तीसरा मौका होगा जब
प्रधानमंत्री मोदी ब्रिक्स देशों के राष्ट्राध्यक्षों से मिलेंगे. इससे पहले ब्राजील में हुए ब्रिक्स सम्मेलन और ऑस्ट्रेलिया में हुए जी-20 सम्मेलन में मोदी ब्रिक्स देशों के राष्ट्राध्यक्षों से मिल चुके हैं. उफा में हो रहे इस ब्रिक्स सम्मलेन में मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के अलावा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ब्राजील की राष्ट्रपति डिल्मा रूसेफ और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा भी हिस्सा लेंगे.
ब्रिक्स डेवलपमेंट बैंक पर भी होगी बात
बीते साल ब्राजील में संपन्न ब्रिक्स सम्मेलन की सबसे बड़ी सार्थकता 'ब्रिक्स डेवलपमेंट बैंक' इस बार भी मुख्य मुद्दा हो सकता है. इसके कार्यकारी नियमों के साथ-साथ भविष्य की योजना को लेकर भी चर्चा हो सकती है. इस बैंक के पहले प्रमुख के वी कामथ प्रधानमंत्री मोदी के साथ है. कारोबार के मोर्चे से पांच उद्योगपति भी प्रधानमंत्री के साथ हैं.
कैसे टूटेगा डॉलर चक्रव्यूह?
ब्रिक्स में शामिल 5 देश दुनिया की 40 फीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं. अब भी ये देश आपस में डॉलर में व्यापार करने को मजबूर हैं. ब्रिक्स के सभी देशों की कुल जीडीपी 20 ट्रिलियन से भी ज्यादा है. डॉलर की एकाधिकार तोड़ने के लिहाज से आपसी व्यापार घरेलू मुद्रा में करने की बात हो सकती है. अगर ऐसा होता है तो ये ब्रिक्स देशों की सबसे बड़ी सफलता होगी.
सांस्कृतिक सहयोग भी बढ़ेगा
ब्रिक्स में शामिल देश, दुनिया की 5 सबसे प्रभावशाली विकासशील अर्थव्यवस्था होने के साथ-साथ सांस्कृतिक क्षेत्र में बहुत धनी भी है. सांस्कृतिक मोर्चे पर आपसी सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा होने की संभावना है. अगर ऐसा होता है तो भारत के योग-उद्योग को खासा लाभ पहुंचने की उम्मीद है.
क्या है SCO सम्मेलन में ?
भारत को SCO की पूर्ण सदस्यता दिए जाने की संभावना है. इस संगठन में फिलहाल छह देश- चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गीस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान ही शामिल हैं. भारत को इसमें अभी ऑब्जर्वर का दर्जा ही प्राप्त है. SCO का मकसद आवजाही बढ़ाने, आतंकवाद के खिलाफ सहयोग, ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग के साथ ही नशीली दवाओं की तस्करी से निपटना भी है. पर SCO का सबसे बड़ा काम आपसी व्यापार को बढ़ाना है. अगर भारत इसका सदस्य बनता है तो कारोबारी मोर्चे पर बड़ी सफलता होगी.
नवाज शरीफ से मुलाकात
रमजान के महीने में प्रधानमंत्री मोदी ने भले ही नवाज शरीफ को फोन कर थोड़ी जमी बर्फ गलाई हो पर जानकारों का मानना है कि रूस में मोदी-नवाज मुलाकात से शायद ही कोई बड़ा नतीजा निकल पाए. पर हाल ही में पाकिस्तान में 26/11 के मुंबई हमले के मास्टरमाइंड जकी-उर-रहमान लखवी की रिहाई को मोदी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के सामने उठा सकते है.