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MODI@3: तीन साल के 10 आर्थिक आंकड़ों में First Division पास

देश के ज्यादातर आर्थिक आंकड़े दिखा रहे हैं कि मोदी सरकार के तीन साल के कार्यकाल के दौरान देश की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पहले तीन साल के कार्यकाल के दौरान ज्यादातर आर्थिक मामलों के जानकारों का मानना रहा कि केन्द्र सरकार ने अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए कई नीतियों में फेरबदल किया है.

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FIRST DIVISION से पास हुई मोदी सरकार
FIRST DIVISION से पास हुई मोदी सरकार

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देश के ज्यादातर आर्थिक आंकड़े दिखा रहे हैं कि मोदी सरकार के तीन साल के कार्यकाल के दौरान देश की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पहले तीन साल के कार्यकाल के दौरान ज्यादातर आर्थिक मामलों के जानकारों का मानना रहा कि केन्द्र सरकार ने अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए कई नीतियों में फेरबदल किया है. इसके चलते जहां पहले दो साल के कार्यकाल के दौरान आर्थिक आंकड़े कमजोर रहे लेकिन तीसरे साल से मोदी सरकार की नीतियों का असर आंकड़ों में दिखाई देने लगा है.

भारतीय अर्थव्यवस्था के 10 अहम आंकड़ों को देखने से साफ है कि दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जहां मौजूदा समय में विश्व की सबसे तेजी से विकसित होने वाली अर्थव्यवस्था होने के साथ-साथ आने वाले समय में दोहरी गति से बढ़ने के लिए तैयार हो रही है. इन आंकड़ों को देखने के लिए एक तरफ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में बनी यूपीए सरकार के 10 साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद के आंकड़े हैं (31 मार्च 2014) और दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीन साल के कार्यकाल के बाद के उन्हीं मापदंड़ों पर आंकड़े हैं.

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Modi@3 : सेंसेक्स लगातार दे रहा मोदी सरकार की नीतियों को FIRST DIVISION

यूपीए को ले डूबी 'महंगाई की मार'
31 मार्च 2014 तक देश में उपभोक्ता महंगाई 9.46 फीसदी थी जो बीते तीन साल में घटकर 3.81 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई है. इसे मोदी सरकार की किसमत कहें, 3 साल के कार्यकाल की नीतियों का नतीजा कहें या आर्थिक आंकड़ों की जादुगरी. 3 साल में महंगाई के मामले में मोदी सरकार को फर्स्ट डीवीजन.

रुपया और डॉलर की 'जंग'
'नोटबंदी' भारतीय करेंसी पर किसी सर्जिकल स्ट्राइक से कम नहीं थी. संचार में पड़ी 86 फीसदी मुद्रा को 24 घंटे से कम समय में बदलने की प्रक्रिया को शुरू कर देना. नई करेंसी लागू कर देश में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की कवायद से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बाजार में भी रुपये की धाक मजबूत हुई है. जहां 31 मार्च 2014 को 1 डॉलर के एवज में हमें सिर्फ 60 रुपये मिलते थे, इन तीन साल के दौरान 1 डॉलर के बदले मुद्रा बाजार में 65 रुपये से अधिक मिल रहा है. इसमें भी सरकार को फर्स्ट.

अब 'सस्ता घर' का नंबर
मार्च 2014 में अपना घर खरीदने के लिए जहां आम आदमी को 10-12 फीसदी के ब्याज पर होम लोन मिलता था वहीं अब यह लोन आम आदमी को 8-9 फीसदी पर मिल सकेगा. वहीं केन्द्र सरकार की योजनाओं के तहत गरीब तबके को 4 फीसदी पर होम लोन के लिए भी वक्त अब सही हैं क्योंकि योजना के मुताबिक 4 फीसदी से अधिक का ब्याज सरकार अदा करेगी. लिहाजा, आम आदमी को अब इंतजार रियल एस्टेट सेक्टर में तेजी का है जिससे सस्ता घर बनाने का काम तेजी से हो सके. अपना घर का सपना पूरा करने की कोशिश में भी मोदी सरकार को फिलहाल फर्स्ट दिया जा सकता है.

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