देश का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार बताए जा रहे गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स- GST पर विधेयक लोकसभा से पारित हो गया है. लेकिनकम ही लोग जानते होंगे कि वन नेशन वन टैक्स का विचार पहली बार 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान सामने आया था. अटल बिहारी वाजपेयी के इस सपने को अब मोदी सरकार पूरा करने जा रही है. यानी देशभर में टैक्स की एक समान व्यवस्था. संसद में मोदी सरकार ने इसे पारित कराने के लिए पूरा जोर लगा दिया है. देखते हैं इस विधेयक का पूरा सफरनामा-
लोकसभा में बुधवार को क्या बोले जेटली?
बुधवार को लोकसभा में जीएसटी पर चर्चा के दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि अभी तक कुछ टैक्स लगाने के अधिकार केंद्र और कुछ राज्यों के पास थे. लेकिन अब पूरे देश में एक ही टैक्स प्रणाली होगी. इसके आने से संसद और विधानसभाओं के पास गुड्स और सर्विसेज पर टैक्स लगाने का अधिकार होगा. जीएसटी काउंसिल में 32 राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं. जेटली ने कहा कि संविधान संशोधन के तहत जीएसटी के तहत पहले पांच साल में अगर किसी राज्य को कोई घाटा होगा तो उसके लिए भी व्यवस्था की जाएगी.
GST का 17 साल का सफर -
1. अटल युग में क्या हुआ?
GST की शुरुआत अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में हुई थी. जब उन्होंने 1999 में अपने आर्थिक सलाहकारों के साथ बुलाई बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की थी. इन सलाहकारों में आरबीआई के पूर्व गवर्नर आईजी पटेल, बिमल जालान और सी. रंगराजन शामिल थे. अब लोकसभा में चार विधेयकों के पेश होते ही यह बिल अपने अंतिम चरण में है. 17 साल पहले एनडीए की सरकार से हुई इसके सफर की शुरुआत अब एनडीए की सरकार में ही खत्म होने जा रही है.
2. कैसे बनी कमेटी?
अटल बिहारी वाजपेयी के साथ बैठक के बाद जीएसटी को लेकर एक कमेटी बनाई गई. यह कमेटी आईजी पटेल, बिमल जालान और सी. रंगराजन ने बनाई थी. इसकी कमान पश्चिम बंगाल के तत्कालीन वित्त मंत्री सीपीआई-एम नेता असिम दासगुप्ता को दी गई थी. इस कमेटी की जिम्मेदारी जीएसटी को लेकर एक मॉडल तैयार करना. उन्हें इसका पूरा मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई. जिसके बाद वाजपेयी सरकार ने 2003 में विजय केलकर के नेतृत्व में टैक्स रिफॉर्म के लिए टास्क फोर्स बनाई थी.
3. जीएसटी को लेकर चिदंबरम ने क्या किया?
2004 में वाजपेयी सरकार के जाने के बाद मनमोहन सिंह की सरकार बनी. यूपीए-1 के शासन में इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया. 2005 में केलकर कमेटी ने 12वें वित्त आयोग के सुझाव पर जीएसटी को लागू करने की सिफारिश की. पी. चिदंबरम ने अपने अगले बजट को पेश करते वक्त जीएसटी को लागू करने की इच्छा भी जताई.
फरवरी 2006 में चिदंबरम ने जीएसटी को लागू करने के लिए 1 अप्रैल, 2010 की सीमा तय की. वहीं इस दौरान असिम दासगुप्ता की कमेटी इसको लेकर अपने मसौदे पर काम करती रही. चिदंबरम में अपने बजट भाषण में 1 अप्रैल, 2010 की डेडलाइन को बार-बार दोहराया.
4. GST को प्रणब मुखर्जी ने क्या दिया?
2009 में तत्कालीन वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने असिम दासगुप्ता कमेटी द्वारा प्रस्तावित जीएसटी का मूलभूत ढांचा तैयार होने की जानकारी दी. प्रणब ने भी अप्रैल 2010 को ही उसकी समय सीमा बताया. अब इस विधेयक को संसद से पारित होने के बाद राष्ट्रपति के रूप में प्रणब मुखर्जी को ही मंजूरी देना है.
5. कभी बीजेपी ने कैसे अटकाया था रोड़ा?
आज किसी भी कीमत पर जीएसटी को पारित कराने की कोशिश में जुटी बीजेपी ने कभी इसमें रोड़ा भी अटकाया था. भारतीय जनता पार्टी ने लगातार जीएसटी का विरोध किया है. बीजेपी ने प्रणब मुखर्जी द्वारा पेश किए गए जीएसटी के मूलभूत ढांचे का भी विरोध किया. बीजेपी शासित राज्य सरकारों ने इसका विरोध किया. फरवरी 2010 में वित्त मंत्रालय ने इसको मिशन मोड में लाने की कोशिश की. लेकिन राज्य सरकारों के विरोध के कारण जीएसटी अपनी सीमा 1 अप्रैल पर लागू नहीं हो सका. इस दौरान असिम दासगुप्ता कमेटी अपना काम करती रही उस दौरान उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि हम 2010 के आखिर तक इसका पूरा मसौदा तैयार कर देंगे, हमारा 80 प्रतिशत कार्य हो चुका है.
6. पार्लियामेंट में GST का सफर
सभी कोशिशों के बाद 2011 में सरकार ने जीएसटी लागू करने के लिए सदन में संविधान में संशोधन के लिए विधेयक पेश किया. लेकिन बीजेपी समेत कई विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध किया. जिसके बाद इसे स्टैंडिंग कमेटी के पास भेज दिया गया, इस कमेटी के अध्यक्ष यशवंत सिन्हा थे.
7. GST जब राजनीति में फंसा
जीएसटी को हर बार राजनीति का सामना करना पड़ा. बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद असिम दासगुप्ता ने कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया, बाद में उनकी जगह केरल के वित्त मंत्री केएम मनी ने ली. तो वहीं 2012 में बीजेपी ने स्टैंडिंग कमेटी में चर्चा के दौरान सरकार की शक्तियों का विरोध किया.
2012 में प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने के बाद चिदंबरम दोबारा वित्तमंत्री बने तो उन्होंने 31 दिसंबर, 2012 नई डेडलाइन घोषित की. फरवरी 2013 में अपने बजट भाषण के दौरान चिदंबरम ने ऐलान किया कि केंद्र सरकार जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों को होने वाले घाटे पर 9000 करोड़ मुआवजे के तौर पर देगी.
मोदी ने भी किया था विरोध
जीएसटी संशोधन बिल के संसद में पेश होने पर गुजरात की तत्कालीन नरेंद्र मोदी सरकार ने इसका विरोध किया. गुजरात सरकार ने कहा कि जीएसटी के कारण उन्हें हर साल 14 हजार करोड़ रुपये का घाटा होगा.
8. मोदी के आने के बाद GST ऐसे आगे बढ़ा
2014 में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने पर जीएसटी ने रफ्तार पकड़ी. जीएसटी को स्टैंडिंग कमेटी की ओर से मंजूरी मिल गई. वहीं सरकार गठन के 7 महीने बाद ही अरुण जेटली ने संसद में जीएसटी बिल पेश किया, और 1 अप्रैल 2016 को लागू करने की डेडलाइन बताई. लेकिन कांग्रेस ने इसका लगातार विरोध किया. इसके बावजूद मई 2015 में लोकसभा में संशोधन बिल पास किया गया. जिसके बाद कांग्रेस के विरोध पर जीएसटी बिल को राज्यसभा की स्टैंडिंग कमेटी में भेज दिया गया. पिछले एक साल से लगातार इसपर सत्ता और विपक्ष में बहस चल रही थी, जिसके बाद अगस्त 2016 में दोनों पक्षों की सहमति से संशोधन बिल को पास किया गया.
बिल पास होने के अगले 15 से 20 दिनों में ही 18 राज्यों में जीएसटी बिल पास हुआ और राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिली. सितंबर माह में राष्ट्रपति ने जीएसटी काउंसिल का गठन किया, जिसने जीएसटी के पांच सहयोगी बिलों को बनाया.