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अंबानी भाइयों की दूरियां मिटी, 1200 करोड़ की डील हुई

मु‍केश अंबानी और अनिल अंबानी के बीच दूरसंचार कारोबार को लेकर एक डील हुई है. करार के तहत रिलायंस जियो इन्फोकाम द्वारा भविष्य में बनाए जाने वाले आप्टिक फाइबर ढांचे का इस्तेमाल रिलायंस कम्युनिकेशंस भी कर सकेगी. यह करार करीब 1,200 करोड़ रुपये का है.

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मु‍केश अंबानी और अनिल अंबानी के बीच दूरसंचार कारोबार को लेकर एक डील हुई है. करार के तहत रिलायंस जियो इन्फोकाम द्वारा भविष्य में बनाए जाने वाले आप्टिक फाइबर ढांचे का इस्तेमाल रिलायंस कम्युनिकेशंस भी कर सकेगी. यह करार करीब 1,200 करोड़ रुपये का है.

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करार के तहत मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज की दूरसंचार इकाई चौथी पीढ़ी (4जी) सेवाओं की शुरुआत के लिए राष्ट्रीय स्तर पर रिलायंस कम्युनिकेशंस के आप्टिकल फाइबर नेटवर्क का इस्तेमाल करेगी. रिलायंस कम्युनिकेशंस ने एक बयान में कहा, 'रिलायंस जियो इन्फोकॉम लि. तथा रिलायंस कम्युनिकेशन लि. ने करीब 1,200 करोड़ रुपये का प्रतिबद्ध करार किया है. यह राष्ट्रीय स्तर पर रिलायंस कम्युनिकेशंस के विभिन्न शहरों से जुड़े आप्टिक फाइबर नेटवर्क के इस्तेमाल के लिए दिया जाने वाला शुल्क है.

करार की शर्तों की तहत रिलायंस जियो इन्फोकाम अपनी 4जी सेवाओं की शुरुआत के लिए रिलायंस कम्युनिकेशंस के 1,20,000 किलोमीटर के आप्टिक फाइबर नेटवर्क का इस्तेमाल करेगी.

बयान में कहा गया है कि करार के तहत आप्टिक फाइबर नेटवर्क के उन्नयन के लिए तत्काल संयुक्त कार्य व्यवस्था लागू की जाएगी, जिससे अगली पीढ़ी की सेवाएं बिना किसी बाधा के उपलब्ध कराई जा सकें.

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रिलायंस जियो इन्फोकाम (पूर्व में इन्फोटेल ब्राडबैंड) को 2010 में 4जी सेवाओं के लिए अखिल भारतीय लाइसेंस मिला था पर कंपनी अभी तक अपनी सेवाएं शुरू नहीं कर पाई है. सरकार ने हाल में उन नियमों को मंजूरी दी है जिनके तहत रिलायंस जियो इन्फोकाम 4जी स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल के जरिये मोबाइल फोन कॉल सेवाएं भी उपलब्ध करा पाएगी. दोनों भाइयों के बीच कारोबार के बंटवारे के तहत 2005 में रिलायंस कम्युनिकेशन (पूर्व में रिलायंस इन्फोकाम), रिलायंस एनर्जी और रिलायंस कैपिटल अनिल अंबानी के पास चली गई थीं. इस करार से मुकेश अंबानी के लिए एक बार फिर से मोबाइल फोन सेवा कारोबार में उतरने का रास्ता खुलेगा.

इस करार से रिलायंस कम्युनिकेशंस को कुछ राहत मिलेगी. कंपनी पर 31 दिसंबर, 2012 तक 37,360 करोड़ रुपये का शुद्ध रिण का बोझ था. करार से भविष्य में भी दोनों कंपनियों के बीच ढांचे की भागीदारी का रास्ता खुलेगा. करार में कहा गया है कि पारस्परिक आधार पर दोनों कंपनियां मौजूदा तथा भविष्य के ढांचे का इस प्रकार का इस्तेमाल करेंगी, जिससे उनका अधिकतम इस्तेमाल हो सकेगा.

रिलायंस कम्युनिकेशंस टावर इकाई रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर में अपनी हिस्सेदारी बेचना चाहती है, लेकिन अभी तक कंपनी ने किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं किया है. इसके साथ ही कंपनी की अपनी समुद्री केबल कंपनी ग्लोबलकाम में हिस्सेदारी को कम करने के लिए विभिन्न फर्मों के साथ बातचीत चल रही है.

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