माइक्रोसॉफ्ट दुनिया की दूसरी सबसे कीमती कंपनी बन गई है. माइक्रोसॉफ्ट ने एक्सन मोबाइल को पछाड़ते हुए यह उपलब्धि हासिल की है. इसे कंपनी के भारतीय मूल के सीईओ सत्या नडेला के लिए बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है. अब माइक्रोसॉफ्ट से आगे सिर्फ एप्पल है.
नडेला की अगुवाई में माइक्रोसॉफ्ट अपनी उस छवि को बदलने में कामयाब रहा है जिसमें माना जाता था कि कंपनी बाजार और ट्रेंड के हिसाब से उत्पाद नहीं ला पाती. नडेला ने कंपनी का खर्च घटाया है, नौकरियों में कटौती की है. उन्हीं के कार्यकाल में कंपनी मोबाइल मार्केट की तरफ आक्रामक तरीके से बढ़ी. हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट ने नोकिया का भी अधिग्रहण किया था. नडेला के इन्हीं फैसलों की वजह से कंपनी स्टॉक मार्केट में भी सरपट दौड़ रही है. माइक्रोसॉफ्ट की कुल मार्केट वैल्यू 410 बिलियन डॉलर है जबकि अब तीसरे नंबर पर पहुंच चुकी एक्सन मोबाइल की मार्केट वैल्यू 404 बिलियन डॉलर है.
गौरतलब है कि एप्पल दुनिया की नंबर एक वैल्यूबल ब्रांड है. एप्पल की मार्केट वैल्यू 668 बिलियन डॉलर है. दिलचस्प है कि 1999 में माइक्रोसॉफ्ट दुनिया की सबसे कीमती कंपनी थी तब उसका कुल मार्केट शेयर 616 बिलियन डॉलर ही था. इसके अगले ही साल से माइक्रोसॉफ्ट के शेयरों में गिरावट शुरू हो गई. माइक्रोसॉफ्ट की गाड़ी अब फिर ट्रैक पर आने लगी है. अप्रैल 2013 से कंपनी के शेयर 70 फीसदी तक बढ़ चुके हैं. नडेला के कमान संभालने के बाद से कंपनी में काफी बदलाव हुए हैं, अब नतीजे देख कर कहना होगा कि ये बदलाव अच्छा रहा है. माइक्रोसॉफ्ट के शेयरों के शानदार प्रदर्शन से अमेरिकन स्टॉक मार्केट ने भी एक दशक में सबसे बड़ी उछाल देखने को मिली.