पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को केंद्र सरकार के 2014-15 के बजट की निंदा करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी नीत सरकार 'एफडीआई की, एफडीआई के द्वारा और एफडीआई के लिए' होकर रह गई है. दरअसल, मोदी सरकार ने अपने पहले बजट में बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को मौजूदा 26 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी करने का फैसला लिया है, जबकि रक्षा क्षेत्र में भी एफडीआई को 26 से बढ़ाकर 49 फीसदी किया गया है.
ममता ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है, 'हमने इस सरकार के सत्ता में आने से पहले मजबूत और जीवंत भारत के बारे में सुना था. हम सोचते थे कि यह सुशासन मुहैया कराएगी.' उन्होंने आगे लिखा है, 'लेकिन शुरुआत से ही हम निराश हो रहे हैं. दो बजटों में नई सरकार का केवल एक ही सकारात्मक संकेत है कि वह एफडीआई की, एफडीआई के द्वारा और एफडीआई के लिए सरकार है.' उन्होंने कहा है, 'खुदरा में एफडीआई पहले से ही है. अब रक्षा और बीमा क्षेत्रों में एफडीआई को 49 फीसदी किया जा रहा है. इसके अलावा बैंकिंग क्षेत्र में 49 फीसदी विनिवेश किया जाएगा. इन सभी का देश की जनता पर विपरीत असर पड़ेगा.'
ममता ने कहा है कि 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना के लिए मात्र 100 करोड़ रुपये का आवंटन मजाक के सिवा और कुछ नहीं है. उन्होंने सवाल उठाया है, 'हमारे राज्य में 'कन्याश्री' योजना पहली बार 1000 करोड़ रुपये के प्रावधान से शुरू किया गया. यह वास्तव में दुखद है कि लड़कियों के 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' जैसी महत्वपूर्ण योजना सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए केवल 100 करोड़ रुपये से शुरू करने की घोषणा की गई है.'
ममता ने 200 करोड़ रुपये के आवंटन से छह नए टेक्सटाइल क्लस्टर में पश्चिम बंगाल को हिस्सेदारी नहीं देने की भी आलोचना की है. उन्होंने कहा है, 'पश्चिम बंगाल में टेक्सटाइल क्षेत्र की असीम संभावना होने के बावजूद उसे छह नए क्लस्टर में जगह नहीं दी गई है.' तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा है, 'पश्चिम बंगाल देश में फल-सब्जी का सबसे बड़ा उत्पादक होने के बावजूद बजट में घोषित बागवानी विश्वविद्यालय इसके हिस्से में नहीं आया, यह दुखद है.'
मुख्यमंत्री ने कहा है, 'यहां तक कि गरीबों के लिए चलने वाली 100 दिन रोजगार योजना के लिए एक भी पैसा नहीं बढ़ाया गया है. दूसरी तरफ पेट्रोल, डीजल और किरासन के साथ ही फल-सब्जियों के दाम रोजाना बढ़ते जा रहे हैं.' उन्होंने कहा है कि नई सरकार 'राजनीतिक वैर साधने' की राह पर अग्रसर है. इसकी नीयत ठीक नहीं है, शायद इसलिए इसके बजट में कोई दृष्टि नहीं है.