आइसीआइसीआइ बैंक के अध्यक्ष के.वी. कामथ की राय है कि देश की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए विनिवेश की प्रक्रिया में तेजी लाई जानी चाहिए. साथ ही विनिवेश से हासिल संसाधन के जरिए घाटे को पूरा किया जाना चाहिए.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बेहतरी
इस सवाल के जवाब में कि क्या बाजार में तेजी और 'फीलगुड' का उभरता हल्का एहसास वास्तविक है या महज मरीचिका, उन्होंने कहा कि यह टिमटिमाहट नहीं, वास्तविक किरण है. ज्यादातर ग्राहक फीलगुड कारक महसूस कर सकते हैं और परिवर्तन देख सकते हैं. हां, रियल एस्टेट, कपड़ा और निर्यात जैसे कुछ क्षेत्र संकट में हैं लेकिन ग्रामीण अर्थव्यवस्था और मुख्य क्षेत्र अच्छा कर रहे हैं.
बीत चुका है बुरा समय
उनका मानना है कि भारत के लिए बदतर समय सचमुच गुजर चुका है. वह पीछे छूट चुका है. इसका सबूत फीलगुड एहसास और व्यवसाय में आया भरोसा है. भारत में बड़े पैमाने पर वैसा ही परिवर्तन हो रहा है जैसाकि 80 के दशक में जापान और 90 के दशक में चीन में हुआ था. लेकिन हम वित्त और मुद्रा दर के मामले में वैश्विक परिदृश्य से हमेशा जुड़े रहेंगे.
अगले साल 8 प्रतिशत की वृद्धि की दरकार
यह पूछे जाने पर कि भारत की अर्थव्यवस्था में कब सुधार आने की उम्मीद करनी चाहिए, उन्होंने कहा, ''हमें अभी-अभी खत्म हुए साल में 7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करनी चाहिए थी. मेरे ख्याल से हम ऊपर की ओर बढ़ रहे हैं और हमें अगले साल 8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करनी चाहिए.''
अर्थव्यवस्था में सुधार के लक्षण के संबंध में उन्होंने बताया कि ज्यादातर कॉर्पोरेट कह रहे हैं कि वे बेहतर स्थिति में हैं. व्यवसाय में विश्वास बढ़ा है. मुंबई में रियल एस्टेट जोर पकड़ रहा है, कार, दोपहिया और वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री बढ़ी है.
के.वी. कामथ की नजर में:
3 कदम, जो सरकार को उठाने ही चाहिए-
- सुधारों और विनिवेश की प्रक्रिया में तेजी लाई जानी चाहिए.
- विनिवेश से हासिल संसाधन के जरिए घाटे को पूरा किया जाना चाहिए.
- वैश्विक कमजोरी के मद्देनजर, वित्तीय क्षेत्र को खोलने में सतर्कता बरतनी चाहिए.