सरकार की नई विदेश व्यापार नीति देश का निर्यात बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने के उपायों पर केंद्रित होगी. एक सरकारी अधिकारी ने यह बात कही.
वाणिज्य एवं उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ने अतिरिक्त विदेश व्यापार महानिदेशक सुमीत जेरथ के हवाले से कहा है कि डब्ल्यूटीओ का हिस्सा होने के नाते भारत समान रूप से आयात का विकल्प तलाशे बिना केवल निर्यात संवर्धन की बात नहीं सोच सकता है. उन्होंने कहा कि यही वजह है कि नई विदेश व्यापार नीति का जोर पूरी तरह से निर्यात और आयात दोनों पर होगा लेकिन इसमें निर्यात बढ़ाने पर उल्लेखनीय जोर रहेगा. जेरथ ने कहा कि पंच वर्षीय नई विदेश व्यापार नीति आम चुनाव के बाद केंद्र में बनने वाली नई सरकार द्वारा घोषित की जाएगी.
वर्ष 2014 से 2019 की अवधि के लिए घोषित की जाने वाली इस नीति में दुनिया के साथ जुड़ने पर जोर होगा. विशेषतौर से औषधि और इंजीनियरिंग क्षेत्र में प्रयास तेज किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि निर्यात से जुड़े पुराने तौर तरीकों और नियमन को कम से कम किया जाएगा और इन्हें आधुनिक बनाने के लिहाज से निर्यात की जरूरतों के अनुरूप बनाया जाएगा ताकि वास्तविक लक्ष्यों को हासिल किया जा सके.
समाप्त वित्त वर्ष में देश का निर्यात कारोबार 325 अरब डॉलर के लक्ष्य से पीछे रह गया और वर्ष के दौरान 312.3 अरब डॉलर का निर्यात ही हो सका. जेरथ ने कहा कि नीति निर्माताओं का यह प्रयास होगा कि वैश्िवक व्यापार में भारत के निर्यात का हिस्सा मौजूदा 2 प्रतिशत से बढ़ाकर अगले पांच साल में 5 प्रतिशत तक ले जाया जाए.