इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट (आईएसआई) की नई रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक देश में संचालित कुल करेंसी में लगभग 400 करोड़ रुपये की नकली करेंसी है. इसमें लगभग प्रतिवर्ष 70 करोड़ रुपये नकली करेंसी जुड़ जाती है. हालांकि देश के खुफिया विभाग (इंटेलिजेंस ब्यूरो) का अनुमान इससे कहीं ज्यादा है. इंटेलिजेंस ब्यूरो के अनुमान के मुताबिक अर्थव्यवस्था में प्रतिवर्ष लगभग 2,500 करोड़ रुपये की नकली मुद्रा का संचार हो रहा है.
नकली करेंसी से उठ रहा पर्दा, मिल रहा वैज्ञानिक साक्ष्य
देश में नकली करेंसी की समस्या से निपटने के लिए नैशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने आईएसआई को यह रिसर्च सौपी थी. इस रिसर्च के दौरान यह सच्चाई भी सामने आई है कि देश में संचालित नकली करेंसी का श्रोत पाकिस्तान है.
एक अंग्रेजी अखबार के हवाले से गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक नकली करेंसी बनाने में इस्तेमाल हो रही स्हायी, कागज और अन्य चीजें विश्व स्तर पर कोई संप्रभु देश ही अपनी करेंसी या लीगल टेंडर प्रकाशित करने के लिए प्राप्त कर सकता है. सूत्रों के मुताबिक एनआईए द्वारा देशभर से एकत्रित की गई नकली करेंसी की फॉरेन्सिक जांच से पता चलता है भारत की नकली करेंसी में इस्तेमाल हो रहा कागज और स्याही पाकिस्तान के लीगल टेंडर से मिलता है.
गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में केन्द्र सरकार ने पार्लियामेंट को सूचित किया था कि देश में संचालित नकली करेंसी का कोई भी विश्वसनीय आंकड़ा उसके पास नहीं है. हालांकि, केन्द्र सरकार का निजी अनुमान है कि देश में किसी भी दिए समय में लगभग 5,000-10,000 करोड़ रुपये की नकली करेंसी संचार में है. इसी दुविधा के चलते देश में नकली करेंसी की समस्या से लड़ने के लिए एनआईए ने आईएसआई से यह रिसर्च कराई.
इस रिसर्च के लिए आईएसआई रिजर्व बैंक, नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो, इंटेलिजेंस ब्यूरो, रिसर्च एंड एनॉलिसिस विंग, सेंट्रल इकोनॉमिक इंटेलिजेंस ब्यूरो समेत सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन के पास मौजूद सभी आंकड़ों का परीक्षण किया गया है.