पंजाब नेशनल बैंक का कर्ज लेकर देश छोड़ देने वाले अरबपति कारोबारी नीरव मोदी ने साल 2010 में नौ कंपनियां शुरू की थीं, लेकिन इन कंपनियों में कोई कारोबार नहीं हुआ और 2010 में इन्हें बंद कर दिया गया. अब जांच एजेंसियां इसे लेकर चौकन्नी हो गई हैं कि आखिर इसके पीछे क्या खेल था?
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार पीएनबी फ्रॉड मामले के बाद नीरव मोदी से जुड़ी 41 कंपनियों का विश्लेषण किया गया. इसमें यह पता चला कि उसकी 9 कंपनियों का गठन मार्च और अगस्त 2010 के बीच किया गया. गौरतलब है कि पीएनबी से एलओयू नीरव की तीन कंपनियों को ही जारी किया गया था.
रिकॉर्ड से यह पता चलता है कि नीरव मोदी का भाई निशाल मोदी इन सभी 9 कंपनियों का निदेशक था. पीएनबी के 11,400 करोड़ रुपये के फ्रॉड में सीबीआइ ने निशाल को भी आरोपी बनाया है.
9 संदिग्ध कंपनियों के बही-खातों को देखकर यह पता चला है कि गठन के दो साल तक इन्होंने कोई कारोबार नहीं किया और 21 जून, 2012 को इनमें से सात कंपनियां बंद हो गईं. दो अन्य कंपनियां भी उसी साल बंद हो गईं. इन कंपनियों को बंद करने का कारण एक ही बताया गया है. उनमें 'कोई टिकाऊ कारोबारी गतिविधि नहीं हुई और वे 'आय को बढ़ाने लायक नहीं थीं.'
इन 9 सदिग्ध कंपनियों के नाम थे- पुनर्वसु कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, अनंतनाथ वैल्युअर्स प्राइवेट लिमिटेड, नेमिनाथ कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, वसुपूज्य वैल्युअर्स प्राइवेट लिमिटेड, मूल कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, संभवनाथ कंसल्टैंट्स प्राइवेट लिमिटेड, सुवधिनाथ कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड, मून वैल्युअर्स प्राइवेट लिमिटेड और सुपस्वनाथ कंसलर्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड.
हर कंपनी का गठन 1 लाख रुपये के पेड-अप कैपिटल से किया गया था और साल 2012 में इन सभी को बंद कर दिया गया. असल में इसके एक साल पहले यानी 2011 में तत्कालीन सरकार एक फास्ट ट्रैक एग्जिट स्कीम लेकर आई थी, जिसकी वहज से कंपनियों को बंद करना आसान हुआ.
इसके अलावा नीरव मोदी से जुड़ी चार अन्य कंपनियों की शुरुआत फरवरी 2000 में हुई थी, बाद में उन्हें लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनर यानी एलएलपी में बदल दिया गया और अंतत: भंग कर दिया गया. इन कंपनियों के नाम हैं-पैरागोन जूलरी प्राइवेट लिमिटेड, पैरोगोन मर्चेंडाइजिंग प्राइवेट लिमिटेड, पॉन्चजन्य डायमंड्स प्राइवेट लिमिटेड और नीशल एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड. जांच एजेंसियां इनका भी इतिहास खंगाल रही हैं.