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मंदी की आहट के बीच RBI की मदद, क्या सुधर जाएगी देश की आर्थिक सेहत?

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सरकार के लिए खजाना खोला तो सवाल उठने लगे कि क्या देश की आर्थिक सेहत बिगड़ गई है? अब तक मंदी की आहट की बातें हो रही थी.

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आर्थिक मंदी की आहट से लोगों में घबराहट (Photo: File)
आर्थिक मंदी की आहट से लोगों में घबराहट (Photo: File)

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  • RBI से मिले फंड पर सीधे बयान देने से बचती दिखीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
  • निर्मला सीतारमण ने कहा- देश की आर्थिक सेहत को लेकर कोई चिंता की बात नहीं

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सरकार के लिए खजाना खोला तो सवाल उठने लगे कि क्या देश की आर्थिक सेहत बिगड़ गई है? अब तक मंदी की आहट की बातें हो रही थी, लेकिन मुहर लगती दिख रही है. इस बीच अब सवाल उठ रहे हैं कि आरबीआई से मिले पैसे का सरकार क्या करेगी?

क्या देश की आर्थिक सेहत है खराब?

दरअसल रिजर्व बैंक ने बिमल जालान कमेटी की सिफारिश को मानते हुए कैश सरप्लस से 1.76 लाख करोड़ रुपये सरकार को ट्रांसफर करने की मंजूरी दी. आरबीआई का ये खजाना तब खुला जब अर्थव्यवस्था घेरे में है और सरकार से सवाल दागे जा रहे हैं. ऐसे में इसके मायने यही निकाले जा रहे हैं कि सरकार का आर्थिक हालत खराब है.

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RBI से मिले सरप्लस पर वित्त मंत्री की चुप्पी

ट्रेड इंडस्ट्री की एक बैठक में हिस्सा लेने के बाद मंगलवार को आरबीआई से मिली मदद के इस्तेमाल से जुड़े सवाल पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि उसका उपयोग कैसे होगा, इस पर अभी मैं कुछ नहीं कह सकती हूं, हम निर्णय लेंगे इसके बाद आपको जानकारी मिल जाएगी. यानी सरकार अभी सीधे-सीधे RBI फंड पर बयान देने से बच रही है.

इस बैठक के बारे में जानकारी देते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा, 'इस बैठक में जीएसटी को लेकर कारोबारियों से विस्तृत चर्चा हुई. व्यापारी वर्ग बिना चिंता के अपना काम करें. जीएसटी को और सरल बनाने पर काम किया जा रहा है.' उन्होंने कहा कि देश की आर्थिक स्थिति को लेकर कोई चिंता की बात नहीं है.

RBI पर सवाल उठाने से भड़कीं सीतारमण

सीतारमण ने कहा कि देश में चाहे छोटे हों या बड़े, सभी आंत्रप्रेन्योर्स बिना किसी चिंता के काम करें. हालांकि उन्होंने इस दौरान आरबीआई की फंडिंग पर विपक्ष की ओर से सवाल उठाए जाने का जवाब भी दिया. उन्होंने कहा कि बिमल जालान कमेटी का गठन आरबीआई ने ही किया है, कमेटी की सिफारिश पर ही आरबीआई सरकार को यह रकम दी है. ऐसे में आरबीआई की विश्वसनीयता पर सवाल उठाना गलत है.

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आरबीआई के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट में केंद्रीय बैंक की आरक्षित निधि और इसके लाभांश का सरकार को हस्तांरण किए जाने के संबंध में सिफारिश की गई है. जालान समिति की रिपोर्ट पर विचार करने के बाद आरबीआई के बोर्ड की बैठक में इस बाबत फैसला लिया गया. आरबीआई ने अपने बोर्ड की बैठक के बाद घोषणा की कि वह 1.76 लाख करोड़ रुपये से थोड़ा अधिक सरप्लस सरकार को ट्रांसफर करेगा. 

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