बेरोजगारी पर नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) की रिपोर्ट को लेकर जारी विवाद के बीच केंद्र सरकार ने सफाई दी है. सरकार ने कहा कि बेरोजगारी की दर को दर्शाने वाली एनएसएसओ की यह रिपोर्ट अंतिम नहीं है. यह सर्वे अभी पूरा नहीं हुआ है. आपको बता दें कि एनएसएसओ की रिपोर्ट में कहा गया कि देश में बेरोजगारी दर 2017-18 में 45 साल के उच्च स्तर यानी 6.1 प्रतिशत पर पहुंच गई है. इसको लेकर विवाद छिड़ गया है और विपक्ष इस मुद्दे पर मोदी सरकार को लगातार घेर रहा है.
बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के मुताबिक एनएसएसओ द्वारा किए जाने वाले पीरियाडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) के अनुसार देश में बेरोजगारी की दर 1972-73 के बाद सबसे ऊंची है. साल 2011-12 में बेरोजगारी की दर 2.2 प्रतिशत थी. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया. इसके बाद इस पर विवाद बढ़ गया. राहुल गांधी का कहना है कि मोदी सरकार ने प्रतिवर्ष 2 करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था, लेकिन पांच साल बाद रोजगार सृजन रिपोर्ट कार्ड लीक हो गया, जिसमें इस राष्ट्रीय आपदा का खुलासा हुआ है.
इसके बाद गुरुवार को नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने आनन-फानन में प्रेस वार्ता बुलाई और कहा कि अखबार ने जिन आंकड़ों का उदाहरण दिया है, वो अंतिम नहीं हैं. यह एक मसौदा रिपोर्ट है. इससे पहले यूपीए सरकार के समय के जीडीपी वृद्धि दर के आंकड़ों को घटाकर दिखाए जाने के विवाद पर भी राजीव कुमार केंद्र सरकार का बचाव करते नजर आ चुके हैं. बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट पर टिप्पणी करने से मना करते हुए राजीव कुमार ने कहा कि तिमाही आंकड़ों के आधार पर सरकार अपनी रोजगार रिपोर्ट मार्च में जारी करेगी.
समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने बेरोजगारी के साथ वृद्धि के दावे को भी खारिज किया. उन्होंने सवाल किया कि बिना रोजगार पैदा किए कैसे कोई देश औसतन 7 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल कर सकता है. राजीव कुमार ने कहा कि पीएलएफएस के आंकड़ों की तुलना एनएसएसओ की पुरानी रिपोर्ट से किया जाना गलत है, क्योंकि तब और अब की गणना के तरीकों में कई बदलाव हुए हैं.
एनएसएसओ के आंकड़ों पर नीति आयोग के प्रेस वार्ता करने पर राजीव कुमार ने कहा कि मुख्य सांख्यिकीविद प्रवीण श्रीवास्तव दिल्ली में मौजूद नहीं हैं. लिहाजा वो उपस्थित नहीं हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) तब के योजना आयोग का हिस्सा था. इसलिए नीति आयोग और एनएसएसओ पूरी तरह से अलग नहीं हैं. इस दौरान राजीव कुमार के साथ नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत भी मौजूद रहे.