नीति आयोग का कहना है कि रेलवे को किराये ढांचे और सब्सिडी को तर्कसंगत करना चाहिए और अपनी संपत्तियों के मौद्रिकरण से राजस्व जुटाना चाहिए.
नीति आयोग ने नए भारत के लिए व्यापक राष्ट्रीय रणनीति का अनावरण करते हुए कहा कि रेलवे को अपने मूल्य ढांचे पर नए सिरे से विचार करना चाहिए, जिससे यात्री और माल ढुलाई खंड वह टिका रह सके. नए भारत के लिए रणनीति@75 रिपोर्ट में आयोग ने कहा कि ढुलाई भाड़ा सड़क परिवहन की लागत के साथ प्रतिस्पर्धी होना चाहिए.
इसमें कहा गया है कि 2022-23 तक भारत के पास ऐसा रेल नेटवर्क होना चाहिए जो न केवल दक्ष, विश्वसनीय और सुरक्षित हो बल्कि लागत दक्ष और पहुंच वाला भी हो. यह लोगों की आवाजाही से लेकर माल ढुलाई दोनों के लिए होनी चाहिए.
रेलवे के लिए लक्ष्य तय करते हुए नीति आयोग ने कहा कि उसे बुनियादी ढांचा सृजन की रफ्तार को मौजूदा सात किलोमीटर प्रतिदिन से बढ़ाकर 2022-23 तक 19 किलोमीटर प्रतिदिन करनी होगी. इसी अवधि में ब्रॉड गेज का शतप्रतिशत विद्युतीकरण हासिल करना होगा.
साथ ही इस दौरान माल गाड़ियों की औसत रफ्तार को 2016-17 के 24 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर प्रति घंटा और मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों की औसत रफ्तार को 60 किलोमीटर से बढ़ाकर 80 किलोमीटर प्रति घंटा करना होगा.