रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को बाजार को चौंकाने वाला कोई कदम नहीं उठाया और खुदरा मुद्रास्फीति के उच्चस्तर पर बने रहने के कारण उन्होंने उम्मीद के अनुरूप बैंक की अल्पकालिक ऋण दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया. हालांकि बैंकिंग तंत्र में नकदी प्रवाह बढ़ाने और मुद्रा बाजार में उतार चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं.
रिजर्व बैंक ने अब हर दो महीने में मौद्रिक नीति की समीक्षा का सिलसिला शुरू किया है. राजन ने आज पहली द्वैमासिक मौद्रिक नीति जारी की. इसमें अल्पकालिक नीतिगत दर यानी रेपो को 8 प्रतिशत पर और बैंकों का नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) 4 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है. लेकिन केंद्रीय बैंक ने काल मनी दर को घटाकर 0.25 प्रतिशत कर दिया है जबकि 7 दिन और 14 दिन की रेपो सीमा को 0.50 प्रतिशत से बढ़ाकर 0.75 प्रतिशत कर दिया है. मुख्य नीतिगत दरों में कोई बदलाव न होने से वाहन, आवास तथा अन्य ऋण के मासिक किस्तों में बदलाव नहीं होगा.
गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि मौजूदा स्थिति में नीतिगत दरों को यथावत रखना उचित होगा. सितंबर 2013 और जनवरी 2014 में दरों में की गई वृद्धि को अर्थव्यवस्था में अपना काम करने दिया जाना चाहिए. राजन ने इससे पहले मौद्रिक समीक्षा में दरों को बढ़ाकर बाजार को चौंका दिया था. राजन ने वादा किया कि यदि मुद्रास्फीति जनवरी 2015 तक 8 प्रतिशत के दायरे में रहती है तो उसके बाद एक साल में 6 प्रतिशत नीतिगत ब्याज दर वृद्धि नहीं की जाएगी.
अर्थतंत्र में नकदी प्रवाह बढ़ाने की पहल के बारे में राजन ने कहा कि इसका प्राथमिक उद्देश्य नीतिगत चाल के प्रभाव को ब्याज की हर परत तक प्रेषित करना और आर्थिक तंत्र में नकदी स्थिति को सुधारना भी है. उन्होंने कहा कि सावधि रेपो व्यवस्था बाजार में नकदी की स्थिति का एक उपयोगी संकेतक बनकर उभरी है. इससे बाजार भागीदारों को नकदी को लंबी अवधि तक अपने पास बनाए रखने में मदद मिली है. इससे विभिन्न वित्तीय उत्पादों के मूल्य निर्धारण के लिए बाजार आधारित मानक विकासित हो रहे हैं.
घटेगी मुद्रास्फीति: गवर्नर
मुद्रास्फीति के मुद्दे पर गवर्नर ने कहा कि उन्हें लगता है कि 2014 में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 6 प्रतिशत के नीचे आ जाएगी. उन्होंने कहा कि खाद्य और ईंधन को छोड़कर खुदरा मुद्रास्फीति 8 प्रतिशत के आसपास डटी हुई है. इससे यह पता चलता है कि अभी भी मांग का कुछ दबाव बना हुआ है. रिजर्व बैंक ने नए वित्त वर्ष 2014-15 के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि को केंद्र सरकार के अनुमान के अनुरूप 5.5 पर बरकरार रखा है.
बैंक ने कहा है कि 2013-14 के दौरान चालू खाते का घाटा जीडीपी के 2 प्रतिशत के आसपास रहेगा. राजन ने कहा कि विदेशों में मांग कमजोर पड़ने से निर्यात वृद्धि पर असर पड़ा है जबकि कुछ असर पेट्रोलियम उत्पादों और रत्न एवं आभूषणों के निर्यात मूल्य में नरमी की वजह से है. राजन ने कहा कि यह देखने की बात है कि वैश्विक वृद्धि में सुधार आने के बावजूद क्या निर्यात क्षेत्र की सुस्ती गहराती है. रिपोर्ट के अनुसार फरवरी में पोर्टफोलियो प्रवाह (विदेशी संस्थाग निवेशकों की ओर से निवेश) में तेजी रही. अमेरिका के फेडरल रिजर्व द्वारा अपनी उदार मौद्रिक नीति में बदलाव के असर की धारणा ने भी काम किया.
मार्च में नकदी की हुई तंगी
बाजार में नकदी की स्थिति के बारे में राजन ने कहा कि केंद्रीय बैंक लगातार इसकी निगरानी करता रहेगा. इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि उत्पादक क्षेत्रों के लिये नकदी की तंगी नहीं हो. उन्होंने कहा कि मार्च में नकदी की कुछ तंगी हुई, इसकी वजह वर्षांत बैंकों द्वारा हिसाब किताब का निपटान रहा. हालांकि, रिजर्व बैंक की तरफ से अतिरिक्त नकदी डालने से तंगी कुछ हल्की हुई. बैंक ऑफ बड़ौदा के कार्यकारी निदेशक राजन धवन ने कहा कि कोई अगला नीतिगत कदम उठाने से पहले रिजर्व बैंक नये आंकड़ों की प्रतीक्षा करेगा.
भारतीय स्टेट बैंक के प्रबंध निदेशक पी. प्रदीप कुमार ने भी कहा कि केंद्रीय बैंक की अगली नीति आंकड़ों पर आधारित होगी. दूसरी द्वैमासिक मौद्रिक नीति 3 जून को घोषित होगी.