अगर आप प्राइवेट सेक्टर में जॉब करते हैं और नौकरी बदलने पर बार-बार नया बैंक एकाउंट खोलना पड़ता है तो यह खबर आपके लिए है. खबर है कि बार-बार एकाउंट खोलने की झंझट से जल्द मुक्ति मिलने वाली है. यानी आपका एकाउंट किसी भी बैंक में हो, नौकरी बदलने के बाद भी आपकी सैलरी उसी एकाउंट में जमा हो सकेगी. अगर आपने कोई लोन लिया है तो उसकी ईएमआई भी कट जाएगी. इस तरह यह जरूरी नहीं रहेगा कि कंपनी ने जिस बैंक से कॉन्ट्रैक्ट हो उसमें ही आपका एकाउंट भी हो.
कैसे हुआ मुमकिन?
यह सब संभव हुआ है रिजर्व बैंक की इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सर्विस (ईसीएस) से. पिछले महीने से गुजरात में यह सेवा शुरू भी हो चुकी है. इसके अलावा बैंक और नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों के लोन के एवज में पोस्ट डेटेड चेक लेने पर भी रोक लगा दी गई है. अब लोन की किस्त ईसीएस के जरिए ही लेना होगा. जो ग्राहक पहले ऐसे चेक दे चुके हैं, उन्हें भी पोस्ट डेटेड चेक वापस लेकर ईसीएस के बारे में सूचित करने को कहा गया है. आरबीआई ने इस सेवा की शुरुआत 2008 में की थी.
क्या जरूरी है यह सेवा?
यह सेवा गुजरात के अलावा अन्य राज्यों में भी धीरे-धीरे शुरू होगी. हालांकि, यह सेवा बाध्यकारी नहीं है. कहने का मतलब यह कि बैंक किसी कंपनी को इस सेवा के लिए बाध्य नहीं कर सकता है. हां, कंपनी चाहे तो अपनी सहूलियत के लिए इस सेवा का फायदा उठा सकती है.
कर्मचारी को अभी उसी बैंक में एकाउंट रखना होता है जिसमें कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट हो. लेकिन अब कर्मचारी का एकाउंट चाहे किसी भी बैंक में हो, नई कंपनी से मिलने वाली सैलरी सीधे उसके एकाउंट में जमा हो सकेगी. इसके लिए शर्त यह है कि वह बैंक कोर बैंकिंग नेटवर्क से जुड़ी हो.